चंद्र सदृश मुख ,लटे लटकती जैसे लता सांसों में पुस्पित सुंगंध,काया में कुसुम सी कोमलता भीना झीना सा अंचल है , आंखे है कारी कजरारी धनुष भौंह, नासिका बांसुरी, छबि बहुत ही है न्यारी कितना भी उपमित कर दू, या आकृति बना दू या लिख दूं तुझपे कोई लेख पर खुद में तेरी सुंदरता है उत्तम अनुपम और अलेख चंद्र सदृश मुख ,लटे लटकती जैसे लता सांसों में पुस्पित सुंगंध,काया में कुसुम सी कोमलता भीना झीना सा अंचल है , आंखे है कारी कजरारी धनुष भौंह, नासिका बांसुरी, छबि बहुत ही है न्यारी कितना भी उपमित कर दू, या आकृति बना दू या लिख दूं तुझपे कोई लेख