#सुनिएगा सवालों के द्वंद में जवाब ही उलझ गए लोग हारते होंगे गैरों से मेरे तो अपने ही बदल गए , आज की दुनिया में बस दिखावे का तमाशा है अंदर से कुछ और है इंसान की उसकी बाहर की अलग ही भाषा है, कीमत नहीं अब इंसानों की अब स्वार्थ की गंगा बहती है पहले तो लोग बोलते थे प्रेम से अब तो बस काम की बातें होती हैं, पैसों की पहचान यहां इंसान की कीमत नहीं रही ए खुदा तू ही देख तेरे इंसानों में जरा सी भी इंसानियत नहीं रही!!! #स्नेहा #सुनिएगा