एक रात थी जिसमें उजाले थे, आज दिन में भी अंधेरा है। जीवन पड़ी है अस्त-व्यस्त सी, पर देखना सभी को सवेरा है। बिखरे पड़े हैं सारे परिवार, साथ यादें थी वो जल रही आज। हैं कितने आंकड़े जो जल चुके हैं, सत्ता ने बना दी है जिसे राज। है वक्त अभी वो गुज़र जाएगा, इंतेज़ार कर सब ठहर जाएगा। ये पड़ी अंधियारी थोड़ी भयावह है, आएगा उजाला जो लहर लाएगा। If you like this Poem so please Highlight this.🙏😑 #covid19 #cornavirus #corona #government #needhelp #life #pk_poetry