आरजुएं दिल की तन्हाई में फ़ौत हो गईं मानो मेरे ज़िस्म ओ रूह की मौत हो गईं हाल ए अजयित सुनाऊँ तो सुनाऊँ किसको हर लम्हा मेरी कातिल मेरी मौत हो गईं मेरी आँखों मे अश्क़ ठहरते ही जा रहे है ज़िन्दगी मेरी अब मुझसे ख़फ़ा हो गई वादे किया करते थे जो कभी मुझसे वफ़ा का आज क्यो उनको मुझसे नफरत सी हो गई पलकों पर अश्को की मिक़दारें छलक रही है शायद गमो की आहटों की आमद हो गई वक़्त दर वक़्त हालात मेरे गिरते जा रहे है क्यो ये ज़िन्दगी #इलाही तुझसे बेखबर हो गई ✍️Imran Ilahi #shayari