मैं इस अंधकार से परे, एक नया सवेरा देखना चाहता हूं। इंसानों के बीच धर्म, जाती और वर्ग से परे इंसानियत से भरी प्रेम वाला, एक नया सवेरा देखना चाहता हूं। मेरा, आपका , तुम्हारा से परे , हम और हमारा वाला , एक नया सवेरा देखना चाहता हूं । बेटा और बेटी से परे, मेरे प्यारे बच्चो वाला , एक नया सवेरा देखना चाहता हूं । अफ़सर के पद और किसान से परे , देश के जिम्मेदार कर्तव्य वाहक वाला , एक नया सवेरा देखना चाहता हूं । विश्व को इस आपदा से जीतकर, मुस्कुराने वाला, एक नया सवेरा देखना चाहता हूं । ~ ✍️ आनंद ( सौरभ) आप इस कविता के कड़ी को आगे बढ़ा सकते है धन्यवाद #sun🌅🌅 एक नया सवेरा देखना चाहता हूं