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वो एक पागलपन का दौर था पागल मैं नहीं कोई और था सि

वो एक पागलपन का दौर था 
पागल मैं नहीं कोई और था
सिर्फ गलतफहमियों का शोर था
लकीर बढा़ने की बजाय मिटाने का होड़ था
सच्चाई को नीचे गिराने पर जोर था
झूठ, फरेब, गन्दगी का गठजोड़ था
जहां कोई गाना संगीत विधा  नहीं 
बस मिथ्या प्रशंसा मिल्खा दौड़ था

डॉ लाल थदानी
#अल्फ़ाज़_दिल से
 Participate in the #rapidfire and come up with a #434lovestory
#yqdidi

. #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Baba

वो एक पागलपन का दौर था 
पागल मैं नहीं कोई और था
वो एक पागलपन का दौर था 
पागल मैं नहीं कोई और था
सिर्फ गलतफहमियों का शोर था
लकीर बढा़ने की बजाय मिटाने का होड़ था
सच्चाई को नीचे गिराने पर जोर था
झूठ, फरेब, गन्दगी का गठजोड़ था
जहां कोई गाना संगीत विधा  नहीं 
बस मिथ्या प्रशंसा मिल्खा दौड़ था

डॉ लाल थदानी
#अल्फ़ाज़_दिल से
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#yqdidi

. #YourQuoteAndMine
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वो एक पागलपन का दौर था 
पागल मैं नहीं कोई और था