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White गीत+कविता "आ रे बादल" *********************

White गीत+कविता

"आ रे बादल"
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आ रे बादल आ रे बादल
काले बादल काले बादल
धूम धड़ाम अंबर में गरज जा , बिजली जैसा चम चम चमक जा
प्यासा है तन मन थोडा तरस खा ,रिमझिम बूंदे अब तो बरस जा 
भिंगा दे धरती का आंचल.....
आ रे ..........2

जल रहे धधकते अगन में
पशू पक्षी सब जीव जंतु ।
पेड़ पौधे मुरझाने लगे हैं
मूर्छित मानव हुए बन्धु।।
ठण्डी पवन कहां रुठ गया है ,सूर्य तपन से सब टूट गया हैं 
नदी तालाब झील छुप गया है , मुख मलिन रंग रूप काया हैं 
करो हरा भरा मन मातल......
आ रे...............2

टर्र टर्र मेढ़क अलाप रहे हैं
उमड़ घुमड़ तुम छा जाओ।
बनके वर्षा रानी झामा झम
कण कण में समा जाओ।।
सुनो मेघ अब देर न लगाना  ,करो तृप्त संग अंधिया लाना
इन्द्र धनुष सप्त रंग सजाना, मानसून सत्र सुधा बरसाना 
विद्यार्थी स्नेह रस साजल........
आ रे..............2

#प्रकाश विद्यार्थी

©Prakash Vidyarthi
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