मुकम्मल हुस्न है तेरा ,खुदा को नाज़ है तुझपर ! हजारों ताज़ के सजदे ,तेरे चेहरे की रौनक पर!! तेरी मस्तक की ठंडक चांद को निर्जीव कर दे, तेरे होठों की गर्मी ठोस को भी नीर कर दे, तेरे गालों की लाली अग्नि को चेतावनी दे, डुबोयें है कई कस्ती तेरे आंखों के सागर नें, मुकम्मल हुस्न है तेरा खुदा को नाज है तुझ पर! हजारों ताज़ के सजदे तेरे चेहरे की रौनक पर वो गुस्से से तुम्हारी भौहं चढ़ना, मेरी हर बात सुनकर मैन रहना , तेरी मुस्कान का नश्कर सा चुभना, तेरे अलकों की खामोशी से हैं,देवेश भी पागल हजारों ताज़ के सज़दे तेरे चेहरे के रौनक पर .............. ©Devesh Tripathi #सौन्दर्य #इश्क #dusk