मजदूर हूँ मजबूर नही जा रहा हूँ मै गाँव अपने शहर मे तुम्हारे महफूज नही हूँ न रहने का ठिकाना है न खाने को दाना है खुद को तो जैसे तैसे समझा लेते हैं लेकिन मुन्ने को भूखा इन आँखों से नही देखा जा रहा है देख कर टीवी पे खबरें गालीयाँ हमारे खातिर खूब निकाल रहे हो हाथ पीछे खेंचकर और नजरें हमसे फेरकर तुम ही तो अपने शहर से हमे निकाल रहे हो मजदूर हूँ मजबूर नही जा रहा हूँ मै गाँव अपने शहर मे तुम्हारे महफूज नही हूँ....... #अंजान..... #Labourday #nojotohindi #nojoto #hindi #vilage #Poetry #गाँव #कविता #लेखक #अंजान....