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कहते हैं सभीलोग कि, वह डूब कर मरी थी। पर वे यह नह

कहते हैं सभीलोग कि, वह डूब कर मरी थी।
पर  वे यह नहीं कहते कि,वह क्यों मरी थी ?

सब  जगह हर घड़ी,वो तिल,तिल कर मरी थी।
कौन सी है वह जगह,  जहां  वो बच  सकी थी।

वो मरी थी घर में,और मरी थी घर के बाहर।
हर  गली में मरी थी, और मरी थी हर शहर।

कभी पति ने जान ली,कभी सास ने ज़लाया।
कभी लोकलाज़के डर से,ख़ुद को है डुबाया।

किसकी गाएं गाथा, कहानी किसकी सुनाएं।
इस देश में न जाने, कितनी मरती हैं ललनाएं।

वह  मरती  नहीं है लोगों, केवल डूब कर ही।
जीवन से तंग आकर, कई रास्ते निकाल लेती।

इस देश में न जाने कितनी,मरती है  डूब कर।
लटक कर,जलकर,तड़पकर और घुट घुट कर।

कुछ मरती हैं,अस्मिता उनकी तार तार होने से।
कुछ  ज़ल मरती, दानव दहेज़ की प्रताड़ना से।

©Sneh Lata Pandey 'sneh'
  #वह डूबकर क्यूँ मरी थी?

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