सरकारें लूटती रही और हम लुटते रहे पैदा करती रही दुश्वारियाँ और हम जूझते रहे नए नए जुमलों को देके धार हमे खींचते रहे हम देखते रहे सपने और आँखें मिचते रहे कर के हम पे ही हकुमत हमे पीसते रहे इन के भी क्या ठाठ बॉट है क्योंकि ये खास है पैसे पे हमारे मौज उड़ाते और हम को ही डराते मानना पड़ेगा गुरु जरूर तुम मे कुछ बात है ओ हाँ नेता जो ठहरे यही तो तुम्हारी जात है जन सेवक क्यों तुम खुद को है बताते जब सवालों से हमारे किनारा कर जाते अब तो चुनावों का भी विकास हो गया है सोशल वार का भी आगाज हो गया है पार्टियाँ भी अब खुद को ब्रांड बताती है पीआर कंपनीयाँ इनको इमेज बिल्डप के टिप्स सिखाती है महा रैली का गणित बिठाया जाता है पैसा देकर जन सैलाब दिखाया जाता है पल पल लोकतंत्र का माखौल है तुम लोग उड़ाते संवैधानिक पद पर रहकर थोड़ी तो शर्म कर जाते........ निखिल_कुमार_अंजान........ #निखिल_कुमार_अंजान #nojoto