जितना खुशियों से रिश्ता जोड़ना चाहा. उतना ही ग़मों से नाता गहरा किया । जिसके जितना भी करीब जाना चाहा. उससे उतनी ही दूर होता गया । जिसको जितना भी अपना बनाना चाहा. उसको उतना ही पराया बना लिया । जिस बात को जितना भी भुलाना चाहा. उस बात को उतना ही याद किया । जितना किसी को हँसाना चाहा. उसको उतना ही रुला दिया । जितना भी किसी की नज़रों में उठना चाहा . उतना ही खुद को गिरा लिया । जब जब खुशियों से रिश्ता जोड़ना चाहा . तब तब ग़मों से नाता गहरा हुआ ।। दास्तां ए इश्क़