आज सभी लोग अपने इश्क़ के किस्से सुना रहे है तुम कहो तो मैं भी बतला दू क्या बताऊं कि कैसे तुमसे मेरी नजर मिली थी एक क्षण को तो सांसें भी थम सी गयी थी अब तुमसे पूछे बिना कुछ कहूं ऐसी मेरी हिमाकत नहीं और तुम्हीं बता दो क्या मुझे किस्सा सुनाने की भी इजाजत नहीं तुमसे इजाज़त लेना बनता भी है इस किस्से का असल किरदार तू ही तो है तेरी नज़रें भी कुछ घूर रही थी उस भीड़ में सिर्फ मुझको ही तो ढूंढ़ रही थी अब फिर से ये किस्से घटे ऐसा मेरे साथ होता नहीं और लोग मेरे बारे में क्या ही कहें इससे मुझे फर्क पड़ता नहीं आखिर लोगों की बात का मुझ पर फर्क पड़ें क्यूं जो खुद नहीं सही उनकी परवाह मैं करूं क्यूं जो खुद कुछ कर नहीं सकते वो दे रहे मुझे ज्ञान क्यूं फिर मैं सुनता खुशी से हर एक बात , पर उसपे अमल करूं क्यूं बस अब तो दिल में इक बात सी रहती है उस खुदा से ही तो शिकायत सी रहती है जो नजर तूने मुझको दी किसी और को दी क्यूं नहीं और है जो खूबसूरत तो किसी और को वो लगता क्यूं नहीं - ऋषि देव नजर #yadein #friend #love #poem #poetary #yaad #ik_teri_yaad