अपना-पराया सब डिफाइन कर देता है। बुरा वक्त,भीड़ में क्वारन्टाइन कर देता है। कुछ हो जाते है मजनू,कुछ फरहाद होते है। किसी-किसी को तो ये आइंस्टाइन कर देता है। कोई अंधेरे या कोई गर्त में गुम हो जाता है। तो किसी को ये गोल्ड-माइन कर देता है। तुम किस लिए परेशान हो ये पल गुज़र जाएगा। ये समय है,अंतिम दौर में सबकुछ फ़ाईन कर देता है। दुनियादारी,दीन-धरम,अच्छाई-नेकी,सब बातें है। ये तजुर्बा हर तजुरबे को एल्केलाइन कर देता है। अपना-पराया सब डिफाइन कर देता है। बुरा वक्त,भीड़ में क्वारन्टाइन कर देता है। कुछ हो जाते है मजनू,कुछ फरहाद होते है। किसी-किसी को तो ये आइंस्टाइन कर देता है। कोई अंधेरे या कोई गर्त में गुम हो जाता है। तो किसी को ये गोल्ड-माइन कर देता है।