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#तुमने_एक_बार_सोचा_हीन_हीं.... कितना मुश्किल है मे

#तुमने_एक_बार_सोचा_हीन_हीं....
कितना मुश्किल है मेरा उन सुनसान रास्तों से 
लौटना जिनपर तेरे साथ हाथ थामे बढ़ चले थे 
चलने की खुशी में कभी ध्यान ही नही दिया 
की कभी वापस अगर लौटना पड़े तो कैसे लौटेगें 
ये बेजान सूखे दरख़्त सुनसान राहें मुझसे अगर 
पूछ बैठें तुम्हारे बारे में तो हम क्या कह पाएंगे
उल्लाहना देंगी सब पीछे छोड़ बड़े आत्मविश्वास,
भरोसे के साथ गई थी ना तू तो फिर आज क्यों
ऐसे अकेले पत्थर सी बनी लौट आई है
तुम ही बताओ ना हम आखिर क्या कह पाएंगे
यही की तुम मुझे इन सुनसान राहों में छोड़ 
किसी और के साथ, किसी और पथ पर 
अग्रसर हो गए हो,और मैं रह गई हूं 
यही जहां तुम छोड़ गए हो.....
🖤🍁🖤

©Durga Gautam
  #ballet