" मांगू तो ज़िन्दगी मैं तुझसे उधार मांगू " ************************* दो - चार ज़िन्दगी के न कोई ख्वाब मांगू, मांगू तो ज़िन्दगी मैं तुझसे उधार मांगू... मेरा पता नहीं है न ही है आशियाना, पागल सा सिरफिरा हूं फुटपाथ है ठिकाना. रातें जहाँ मिली हैं ठहरा वहीं हूं उसपल,