जब जब पृथ्वी पर धर्म की हानि हुई, तब तक हरि ने है अवतार लिया। अब उदय दुलारी नेह बतायेगी, जिसमें हरि ने वराह का रूप लिया।। जय विजय को जब मिला श्राप, हुए अवतरित हिरण्याक्ष और हिरण्यकश्यप बन कर। कठिन तपस्या की तब उसने ब्रह्मा की, वरदान पाकर आया वो वीर बनकर।। तीनो लोक में आकर वो दानव दुष्ट दैत्य, फिर उसने मचाया हाहाकार। उसके कुकर्मों को देखकर, तीनों लोक के प्राणी हुए हताश और निराश।। असुरों का राज बढ़ने लगा, चारों तरफ था बस राक्षस दैत्य राज।। धर्म का हो रहा था हानि,अधर्म और अत्याचार का ही था बस अधिराज।। लेकर धरा को उसने फ़िर, समुद्र के रसातल में था उसने छुपा दिया । तीनो लोक में बस अपने आतंक का, था उसने कहर ढा दिया।। l देवता भी हुए बहुत चिंतित, ना कोई जब उनको समाधान मिला। पहुंच गए क्षीर सागर के पास, नारायण श्री हरि का दर्शन मिला।। बतलाए वो कष्ट अपने सारे, प्रभु अब तो कोई ना कोई निदान करो। ना हो पाएं थोड़ा सा भी विलंब, प्रभु हिरण्याक्ष का उपाय करो।। देकर प्रभु देवताओं को सांत्वना, ब्रह्मा जी के नाक से प्रकट भय। करने आए तीनों लोको का उद्धार, वराह रूप प्रभु कहलाए।। धरा को दाढ पर धरण कर, किया हिरण्याक्ष का भी संहार। अपनें इस अद्भुत रूप में प्रभु ने किया तीनों लोक का किया उद्धार।। #9avatarofvishnu #varahavatar #krishna #yqbaba #yqdidi #yqquotes #myquote Topic: Varah Avatar Time limit till 10:00pm tonight... No word limit You have to maintain these hashtags Kindly keep the bell icon on to get recent updates...