ये रात गुजर जाए, बस बात ना गुजरे। तेरी मेरी यादों की, बारात ना गुज़रे। मिलना मुमकिन हो, या ना हो लेकिन। दिल से ये हमारे, मुलाकात ना गुज़रे। ये जो सलीका सीखा, तुमसे मुहब्बत का। इस सलीके का, जज्बात ना गुज़रे। जाज़िब सी तेरी आंखे, गुमगस्ता कर देती मुझे। इन आँखों की अब, कायनात ना गुज़रे। गुज़र जाती हैं जिंदगी, मुहब्बत के बिना भी। तेरे मेरे प्यार की बस, फरियाद ना गुज़रे। #right_2_write #love #monika #poems