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कल दोपहर को मौसम बेहद गर्म था, तापमान पचास से कुछ


कल दोपहर को मौसम बेहद गर्म था,
तापमान पचास से कुछ डिग्री कम था।
बड़ी सी इमारत के बाहर एक लड़का इंतज़ार कर रहा था,
दरवाज़े पर खड़ा चपरासी उसके अंदर करने से इंकार कर रहा था,
उस इमारत के मालिक ने कुछ रोज़ पहले इश्तिहार छपवाया था,
पढ़ कर जिसे काम की तलाश में वो आया था।
क़लम और किताब वाले
हाथों में औजार थामें मजदूर लग रहा था
कड़ी धूप में अंदर जाने की ज़िद में,
मजबूर लग रहा था।
चपरासी भी अपनी जिम्मेदारी में सख़्त था,
कैसे अंदर आने देता,ये उसके मालिक के सोने का वक्त था।
जब हार गया मिन्नतें करते करते,
तो वहीं बैठ रोने लगा,
उसके हाल देख मेरा भी हृदय विचलित होने लगा।
मैं गया उसके पास हाल जानने को,
समझाया उसे पर वो राज़ी न था हार मानने को।
मैने कहा अरे ज़िद छोड़ घर लौट जा,
देख बाहर धूप कितनी है?
या बैठ जा किसी छांव में थोड़ा सांस ले ले
(शेष अनुशीर्षक में पढ़ें) 
कल दोपहर को मौसम बेहद गर्म था,
तापमान पचास से कुछ डिग्री कम था।
बड़ी सी इमारत के बाहर एक लड़का इंतज़ार कर रहा था,
दरवाज़े पर खड़ा चपरासी उसके अंदर करने से इंकार कर रहा था,
उस इमारत के मालिक ने कुछ रोज़ पहले इश्तिहार छपवाया था,
पढ़ कर जिसे काम की तलाश में वो आया था।
क़लम और किताब वाले

कल दोपहर को मौसम बेहद गर्म था,
तापमान पचास से कुछ डिग्री कम था।
बड़ी सी इमारत के बाहर एक लड़का इंतज़ार कर रहा था,
दरवाज़े पर खड़ा चपरासी उसके अंदर करने से इंकार कर रहा था,
उस इमारत के मालिक ने कुछ रोज़ पहले इश्तिहार छपवाया था,
पढ़ कर जिसे काम की तलाश में वो आया था।
क़लम और किताब वाले
हाथों में औजार थामें मजदूर लग रहा था
कड़ी धूप में अंदर जाने की ज़िद में,
मजबूर लग रहा था।
चपरासी भी अपनी जिम्मेदारी में सख़्त था,
कैसे अंदर आने देता,ये उसके मालिक के सोने का वक्त था।
जब हार गया मिन्नतें करते करते,
तो वहीं बैठ रोने लगा,
उसके हाल देख मेरा भी हृदय विचलित होने लगा।
मैं गया उसके पास हाल जानने को,
समझाया उसे पर वो राज़ी न था हार मानने को।
मैने कहा अरे ज़िद छोड़ घर लौट जा,
देख बाहर धूप कितनी है?
या बैठ जा किसी छांव में थोड़ा सांस ले ले
(शेष अनुशीर्षक में पढ़ें) 
कल दोपहर को मौसम बेहद गर्म था,
तापमान पचास से कुछ डिग्री कम था।
बड़ी सी इमारत के बाहर एक लड़का इंतज़ार कर रहा था,
दरवाज़े पर खड़ा चपरासी उसके अंदर करने से इंकार कर रहा था,
उस इमारत के मालिक ने कुछ रोज़ पहले इश्तिहार छपवाया था,
पढ़ कर जिसे काम की तलाश में वो आया था।
क़लम और किताब वाले