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ambujbajpai9774
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अम्बुज बाजपेई"शिवम्"

ये कलम की दुनिया है साहब, यहां नफा-नुकसान की बातें नहीं होती| instagram_id - i_alone_traveller

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अम्बुज बाजपेई"शिवम्"

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अम्बुज बाजपेई"शिवम्"

धूप भरी दोपहर में छांव की तलाश में हूं,
सर्द रिश्तों में गर्माहटों की ख़ातिर अलाव की तलाश मे हूं।
ख़िलाफ़ बह सके दरिया की मौजों के जो,
मैं ऐसी किसी एक मजबूत नाव की तलाश में हूं।
ऊब चुका हूं रंगीनियों से शहरों की,
सुकून दे जो ऐसे गांव की तलाश में हूं।
सुन्न पड़ गये हैं कुछ तरह ख़्याल मेरे,
कुरेद कर जगाने के लिए गहरे घाव की तलाश में हूं।
तुम वज़ीर को मार कर अपनी जीत मुकम्मल मानते हो,
मैं प्यादे से बादशाह को हराने वाले दांव की तलाश में हूं।
बेज़ान रुहों मे सांसें फसी हुई हैं उम्मीद लिए,
जिंदगी जिंदा लगे ऐसे ख़्वाब की तलाश मे हूं।
दर दर भटका हूं ढूंढने वजूद ख़ुदा का,
अब जा के समझ आया अपने आप की तलाश में हूं।

©अम्बुज बाजपेई"शिवम्"
  #Nightlight धूप भरी दोपहर में छांव की तलाश में हूं,
सर्द रिश्तों में गर्माहटों की ख़ातिर अलाव की तलाश मे हूं।
ख़िलाफ़ बह सके दरिया की मौजों के जो,
मैं ऐसी किसी एक मजबूत नाव की तलाश में हूं।
ऊब चुका हूं रंगीनियों से शहरों की,
सुकून दे जो ऐसे गांव की तलाश में हूं।
सुन्न पड़ गये हैं कुछ तरह ख़्याल मेरे,
कुरेद कर जगाने के लिए गहरे घाव की तलाश में हूं।

#Nightlight धूप भरी दोपहर में छांव की तलाश में हूं, सर्द रिश्तों में गर्माहटों की ख़ातिर अलाव की तलाश मे हूं। ख़िलाफ़ बह सके दरिया की मौजों के जो, मैं ऐसी किसी एक मजबूत नाव की तलाश में हूं। ऊब चुका हूं रंगीनियों से शहरों की, सुकून दे जो ऐसे गांव की तलाश में हूं। सुन्न पड़ गये हैं कुछ तरह ख़्याल मेरे, कुरेद कर जगाने के लिए गहरे घाव की तलाश में हूं। #ज़िन्दगी

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अम्बुज बाजपेई"शिवम्"

मुझे मुझसा ही रहने दे,
 तेरे रकीब की नक़ल नहीं हूं मैं।
मुझे बना सके तो आज बना अपना,
तेरा बीता हुआ कल नहीं हूं मैं।
ये क्या लगा रखा है बार बार
आना और जाना मेरी जिंदगी में,
तेरे सारे पैंतरे समझता हूं
पागल नहीं हूं मैं।

©अम्बुज बाजपेई"शिवम्"
  मुझे मुझसा ही रहने दे,
 तेरे रकीब की नक़ल नहीं हूं मैं।
मुझे बना सके तो आज बना अपना,
तेरा बीता हुआ कल नहीं हूं मैं।
ये क्या लगा रखा है बार बार
आना और जाना मेरी जिंदगी में,
तेरे सारे पैंतरे समझता हूं
पागल नहीं हूं मैं।

मुझे मुझसा ही रहने दे, तेरे रकीब की नक़ल नहीं हूं मैं। मुझे बना सके तो आज बना अपना, तेरा बीता हुआ कल नहीं हूं मैं। ये क्या लगा रखा है बार बार आना और जाना मेरी जिंदगी में, तेरे सारे पैंतरे समझता हूं पागल नहीं हूं मैं। #लव #raqeeb

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अम्बुज बाजपेई"शिवम्"

रंग मिलता हो मेरी शेरवानी का तेरे लहंगे से,
बस इतने से हैं मेरे ख़्वाब महंगे से।

©अम्बुज बाजपेई"शिवम्" #ValentinesDay 
#Love
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अम्बुज बाजपेई"शिवम्"

मुख्तालिब मुझसे तू हो बस एक पल को कभी,
हकीकत न हो तो ख़्वाब में सही।
महंगे नही बड़ी आम सी ख्वाहिश है मेरी,
बस इस ख्वाहिश में गुजार दूं सारी जिंदगी।

©अम्बुज बाजपेई"शिवम्"
  #ValentinesDay 
#लव

ValentinesDay लव

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अम्बुज बाजपेई"शिवम्"

मैं दीदार-ए-चांद में रातें ज़ाया करुंगा,
भले वो रात अमावस की और अंधेरा हो तो हो।
तेरे इश्क के कलमें मैं सबको सुनाऊंगा,
भले ज़माने को बुरा लग जाए और बखेड़ा हो तो हो।
मैं आंखें बंद रख कर तेरे ही ख्वाब देखूं बस,
भले दिन चढ़ जाए और सवेरा हो तो हो।
तेरे होने की खुशी तेरे न होने गम से कहीं बढ़कर है,
भले कुछ पल को ही सही मगर मेरा हो तो मेरा हो।

©अम्बुज बाजपेई"शिवम्"
  मैं दीदार-ए-चांद में रातें ज़ाया करुंगा,
भले वो रात अमावस की और अंधेरा हो तो हो।
तेरे इश्क के कलमें मैं सबको सुनाऊंगा,
भले ज़माने को बुरा लग जाए और बखेड़ा हो तो हो।
मैं आंखें बंद रख कर तेरे ही ख्वाब देखूं बस,
भले दिन चढ़ जाए और सवेरा हो तो हो।
तेरे होने की खुशी तेरे न होने गम से कहीं बढ़कर है,
भले कुछ पल को ही सही मगर मेरा हो तो मेरा हो।

मैं दीदार-ए-चांद में रातें ज़ाया करुंगा, भले वो रात अमावस की और अंधेरा हो तो हो। तेरे इश्क के कलमें मैं सबको सुनाऊंगा, भले ज़माने को बुरा लग जाए और बखेड़ा हो तो हो। मैं आंखें बंद रख कर तेरे ही ख्वाब देखूं बस, भले दिन चढ़ जाए और सवेरा हो तो हो। तेरे होने की खुशी तेरे न होने गम से कहीं बढ़कर है, भले कुछ पल को ही सही मगर मेरा हो तो मेरा हो। #कविता #loV€fOR€v€R

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अम्बुज बाजपेई"शिवम्"

परतों में दबा के रखा खुद को न जाने कब से,
कड़ी धूप में भी अचकन खोलता नहीं है।
वो बड़ा खुद्दार लोहार है अपने ईमान का,
 लाख कीमत हो पर सोना तोलता नहीं है।
जिसे चाहिए वो खुद कोशिशें करे परखने की,
हर ग्राहक के आगे दुकान खोलता नहीं है।
लहज़ा सख्त रखता है हर वक्त न जाने क्यूं?
मीठा पसंद करता पर मीठा बोलता नहीं है।
एक जमाने में बड़ा गुस्सैल हुआ करता था,
अब नाराज़ होता है पर खौलता नहीं है।
बड़ा अजीब किरदार है बाप का इस दुनिया में,
खुशियां खरीदनी हो घर की तो मोलता नहीं है।

©अम्बुज बाजपेई"शिवम्"
  #पिता
#father
#fatherslove
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अम्बुज बाजपेई"शिवम्"

मुझे आज भी चलती गाडियों के दरवाज़े पर
खड़ा नहीं होने देती है,
मेरी मां मुझे आज भी बड़ा नहीं होने देती है

©अम्बुज बाजपेई"शिवम्"
  #मां
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अम्बुज बाजपेई"शिवम्"

मैं और रात एक‌ मुसाफ़िर हो जैसे,
अंजान सी मंजिल पर चलना है कुछ ऐसे।
सफ़र से इश्क़ है या 
जरुरत है वक्त की,
ग़र चाहूं तो भी ठहरूं कैसे?

©अम्बुज बाजपेई"शिवम्"
  #मुसाफिर 
मैं और रात एक‌ मुसाफ़िर हो जैसे,
अंजान सी मंजिल पर चलना है कुछ ऐसे।
सफ़र से इश्क़ है या 
जरुरत है वक्त की,
ग़र चाहूं तो भी ठहरूं कैसे?

#मुसाफिर मैं और रात एक‌ मुसाफ़िर हो जैसे, अंजान सी मंजिल पर चलना है कुछ ऐसे। सफ़र से इश्क़ है या जरुरत है वक्त की, ग़र चाहूं तो भी ठहरूं कैसे? #कविता

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अम्बुज बाजपेई"शिवम्"

अब होगा कि तब होगा,
न जानें मन मुताबिक़ मंज़र कब होगा,
मुझे एतबार है खुदा के हर माकूल फैसले पर
एक रोज़ मेरे हिस्से में भी सब होगा,
मैं भी आंखें टिका कर बैठ गया हूं दर पर उसके,
जब भी होगा माहौल गज़ब होगा।
वो चाहता तो राहें सीधी भी रख सकता था,
इन रास्ते के पत्थरों का भी कुछ मतलब होगा।

©अम्बुज बाजपेई"शिवम्" #thoughts💭 
#etbar_e_khuda
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