बारिश की एक बूंद,,, एक शाम बारिश की बूंदों ने,,, मेरे उदास चेहरे को देखकर,,, मेरी खिड़की पर दस्तक देकर बोली,, नटखट सी निगाह और गंभीर सी,, आवाज में बोली कहां गई,,, वो तेरी बचपन की शरारत,,, मेरे बरसने पर तेरा वो यूं ही घंटो तक,, झूमना नाचना गाना,, तेरा मन मोर की भांति खुशी से झूम उठता था,,। कहां खो गया वह सब,,, फिर मेरी तरफ देखकर गंभीर आवाज में बोली,, शायद बड़प्पन और जिम्मेदारियों की,,, चादर ओढ़ ली तूने अब,,,। या इश्क में घायल और टूट चुका है,,, तेरा दिल अब शायद,,,। बारिश की एक बूंद,,,। #nojot #रेन #barshi