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अंतरमन, मन, मन, श्यामसुमन, मन, मन....        जिस म

अंतरमन, मन, मन, श्यामसुमन, मन, मन....
       जिस मन रहते मेरे त्रिभुवन, 

रहना सदा उस मन में मेरे, जिस मन से तुम्हें चाहूँ 
    देना इतनी भक्ति मुझको, तुम संग प्रीति निभाऊ  
श्यामसुमन मेरे अंतरमन, रहना सदा तुम मेरे भगवन 
    अंतरमन, मन, मन, श्यामसुमन, मन, मन....

राधा सी प्रीति कौन करेगा, 
    बोलो कृष्ण मुरारी, बोलो ऐ गिरधारी 
प्रेम समर्पण कर वो चुकी हैं, देखो ऐ बनवारी  
    अंतरमन तुम ही हो सुमन, राधा के मन बसते मोहन 

       ये जो अंतरमन में बात छिपी, 
             उसे जान सके बस वो हीं वहीं, 
       जो इस मन में रहता हैं कहीं, 
             उसे जान सके बस वो हीं वहीं, 
      
       जो अँखियों से पढ़ ले दिल की,
             उसे कहने की कुछ जरुरत नहीं 
       उसकी आँखें बहुत कुछ कहती हैं, 
             ये तो जाने मन बस मेरा हीं,

इस मन में सदा रहना सुमन, बनके तुम मेरे अंतरमन 
       अंतरमन, मन, मन, श्यामसुमन, मन, मन....

तन, मन तुझको अर्पण श्याम, ये हृदय भी अब हैं तेरे नाम 
    मन की बातें, मन ही जाने या जाने मनमोहन श्याम 
कहें बिना जो समझे सारी, वो मेरे प्यारे गिरधारी
    जीवन जिसको समर्पित हैं अब, वो मेरे बनवारी

अंतरमन, मन, मन, श्यामसुमन, मन, मन.... 
       जिस मन रहते मेरे त्रिभुवन, 
अंतरमन, मन, मन, श्यामसुमन, मन, मन....

©Divyanshi Triguna "Radhika"
  #NojotoHindi #अन्तर्मन श्यामसुमन
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Radheshyam

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