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शाम का दीप जले , सूरज जब ढले में फिर तुमसे मिलने

शाम का दीप जले , सूरज जब ढले 
में फिर तुमसे मिलने आऊँगा ।

शाखों पर फूल खिले , सावन की बदरी घिरे जब
में फिर तुमसे मिलने आऊँगा ।

आंखों में आँशु लिये , बरखा का ऋतु चले जब ,
में फिर तुमसे मिलने आऊँगा ।

रात के तकिये पर झिलमिल सितारों के संग बनकर याद ,
में फिर तुमसे मिलने आऊँगा ।

तुम्हारी जुल्फ़े लहरायेगी तब पवन ये भी इतरायेगी तब 
में तुमसे फिर मिलने आऊँगा ।

हाथों में कंगन होंगे , पैरों में पाजेब खनकेंगी सवेरा ये जब होगा उस सवेरे में ,
में तुमसे फिर मिलने आऊँगा

फागुन के झूलों में , ऒर उन गीतों में , 
में तुमसे फिर मिलने आऊँगा

तुम चुनरी ओढ़े आंखों में काजल लगाए , माथे पर बिंदी सजाए रखना 
में तुमसे फिर मिलने आऊँगा #sagarozashayari #sagaroza #sagarshayari #sagar✍️ 

#Love
शाम का दीप जले , सूरज जब ढले 
में फिर तुमसे मिलने आऊँगा ।

शाखों पर फूल खिले , सावन की बदरी घिरे जब
में फिर तुमसे मिलने आऊँगा ।

आंखों में आँशु लिये , बरखा का ऋतु चले जब ,
में फिर तुमसे मिलने आऊँगा ।

रात के तकिये पर झिलमिल सितारों के संग बनकर याद ,
में फिर तुमसे मिलने आऊँगा ।

तुम्हारी जुल्फ़े लहरायेगी तब पवन ये भी इतरायेगी तब 
में तुमसे फिर मिलने आऊँगा ।

हाथों में कंगन होंगे , पैरों में पाजेब खनकेंगी सवेरा ये जब होगा उस सवेरे में ,
में तुमसे फिर मिलने आऊँगा

फागुन के झूलों में , ऒर उन गीतों में , 
में तुमसे फिर मिलने आऊँगा

तुम चुनरी ओढ़े आंखों में काजल लगाए , माथे पर बिंदी सजाए रखना 
में तुमसे फिर मिलने आऊँगा #sagarozashayari #sagaroza #sagarshayari #sagar✍️ 

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sagaroza8542

Sagar Oza

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