शाम का दीप जले , सूरज जब ढले में फिर तुमसे मिलने आऊँगा । शाखों पर फूल खिले , सावन की बदरी घिरे जब में फिर तुमसे मिलने आऊँगा । आंखों में आँशु लिये , बरखा का ऋतु चले जब , में फिर तुमसे मिलने आऊँगा । रात के तकिये पर झिलमिल सितारों के संग बनकर याद , में फिर तुमसे मिलने आऊँगा । तुम्हारी जुल्फ़े लहरायेगी तब पवन ये भी इतरायेगी तब में तुमसे फिर मिलने आऊँगा । हाथों में कंगन होंगे , पैरों में पाजेब खनकेंगी सवेरा ये जब होगा उस सवेरे में , में तुमसे फिर मिलने आऊँगा फागुन के झूलों में , ऒर उन गीतों में , में तुमसे फिर मिलने आऊँगा तुम चुनरी ओढ़े आंखों में काजल लगाए , माथे पर बिंदी सजाए रखना में तुमसे फिर मिलने आऊँगा #sagarozashayari #sagaroza #sagarshayari #sagar✍️ #Love