ख़त के छोटे से तराशे में नहीं आयेंगे ग़म ज्यादा है लिफाफे में नहीं आयेंगे तुमसे मिलने के ख़्वाब हमारे ज्यादा है लगता है कि वो अब नींदों में नहीं आयेंगे आप देखते हो कि बीमार का हाल अच्छा है ऐसा है तो अब कोई हक़ीम भी काम नहीं आयेंगे ना मजनू है , ना रांझा है हम ये आशिक़ आपके किसी काम नहीं आयेगा तुम पूछो तो जवाब भी दे देंगे हम मेरे सवाल आपके किसी काम नहीं आयेंगे ये इश्क़ एक मर्ज है औऱ कुछ नहीं हम वफ़ा करते है बेवफ़ाई के काम नहीं आयेंगे महज़ बातों से दिल बहल जाता आपका तो अच्छा होता जिस्मों की जरूरत के हम काम नहीं आयेंगे ये ग़म ये दर्द आपिका दिया हुआ तो है आँशुओ के श्याही से लिखी ग़ज़ले आपके काम नहीं आयेंगी तुम्हारी आँखों मे डूब जाने का दिल तो करता था साग़र के हम काम भी तो नहीं आयेंगे तुम्हारा दिया हुआ इल्ज़ाम कबूल है अब हमें हम काफ़िर है बुरे आपके किसी काम नहीं आयेंगे सियासतों का दौर है सियासतों का जौर है हम आपके झांसे में कभी नहीं आयेंगे हम इश्क़ में डूब चुके है मेरहबान आपकी शराब मेरे किसी काम नहीं आयेंगी बात दिलों की होती तो दिल लगा भी लेते आपसे हम जरूरत के कभी काम नहीं आयेंगे क़दीम से ख़यालो का लड़का था में तुम्हारें आगे ये नये जमाने के भला हम क्या काम आयेंगे ©Sagar Oza #sagaroza #sagar✍️ #sagarquotes