तुम गंगा की हो पवित्र धार तो मैं दसास्वमेध सा घाट प्रिये.. तुम हो काशी की तंग गालिया तो मैं भी ठहरा गुदौलिया की राह प्रिये...। यदि तुम हो बनारसी मलाई लस्सी तो मैं भी हूँ काशी का बनारसी पान प्रिये.... .BHU है यदि शान तुम्हारी, तो बाबा विश्वनाथ का भी है आशीर्वाद मुझे...। अस्सी की हो भक्ति या हो तुलसी का मानस प्रिये, है तो सब ये बनारसी भौकाल ही प्रिये...।। #varansibhoukal..