गीले कागज़ सी हो गई है जिंदगी, कोई लिखता भी नहीं कोई जलाता भी नहीं, इस कदर हो गए हैं तन्हा हम कोई सताता भी नहीं कोई रुलाता भी नहीं किसकी जानिब देखें उम्मीद से कोई शानो पे सर रख कर रुलाता भी नहीं मनाता भी नहीं...... UNIQUE DVIWEDI.................... गीले कागज़ सी ही गई है ज़िंदगी.....