उम्र तो बीत ही रही हैं, और इसी तरह बीत जायेगी एक दिन, देखना हैं तो यह हैं, तजुर्बे कितने देकर जाती हैं। कितने गैरों को अपना बनाती हैं। कितनो अपनो का असल चेहरा दिखाती हैं। कितने सच्चो का साथ दिलाती हैं। कितने झूठो का एहसान जताती हैं। देखना तो हैं, और उम्र बीतते-बीतते दिखा भी जायेगी । आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi उम्र तो बीत ही रही हैं, और इसी तरह बीत जायेगी एक दिन, देखना हैं तो यह हैं, तजुर्बे कितने देकर जाती हैं। कितने गैरों को अपना बनाती हैं। कितनो अपनो का असल चेहरा दिखाती हैं। कितने सच्चो का साथ दिलाती हैं।