कौन नहीं यहाँ दीवाना तेरा? लग जाए आशिक़ो का मेला। ज़ुल्फ़ घनेरी तीर निगाहें, ख़ुद पे चलता बस नहीं मेरा। होंठों की अठखेलियाँ तेरी, बहके अरमां मन अलबेला। साथ देदो तुम के राह अँधेरी, चले आओ अब बन के सवेरा। उथल पुथल है मन के भीतर, सँवार ज़रा तू संगिनी बनकर। आओगे ग़र खाली हाथ ही आना, ख़ार से दिल को बहार बनाना। ♥️ Challenge-709 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।