सुबह सुबह जब नेह आंखें खोले, तो बस दीदार तुम्हारा हो, छमछम बरसते बारिश में, चाय संग बस प्यार तुम्हारा हो। बाहो का झूला हो, हर कदम हर पल बस साथ तुम्हारा हो, चाय में प्रेम मिठास घुल जाए, कुछ ऐसा स्नेह तुम्हारा हो। बिन सावन हो जाए बरसात, ऐसा राग, अनुराग तुम्हारा हो, तुम्हारे प्रीति में मैं बस डूबी रहूं, होठों पर ख्याति तुम्हारा हो। अधरो पर हो चाय की चुस्की, माथे पर चुम्बन तुम्हारा हो, दो जिस्म का बने एक जान, कुछ ऐसा अधिकार तुम्हारा हो। सुप्रभात, 🌼🌼🌼🌼 🌼आज का हमारा विषय "चाय, बारिश और तुम" बहुत ही ख़ूबसूरत है, आशा है आप लोगों को पसंद आएगा। 🌼आप सब सुबह की चाय की चुस्की लेते हुए लिखना आरंभ कीजिए। 🌼आपके भाग लेने का समय आज रात्रि 12 बजे तक है,