ग़ज़ल👇👇 हाल ए दिल लिखते लिखते रूह भी तड़फड़ाने लगी तन्हाई भी शामिल होकर मुझमे बेचैनी बढ़ाने लगी अश्क़ क्यो बहाऊं मैं अब उस बेवफा की याद में