एक गलती... कभी कभी एक भूल ज़िन्दगी बदल देती है। लेकिन एक भूल से हमेशा नुकसान ही नहीं होती। बचपन में कि एक गलती, मेरी सोच ही बदल दी। मै पांचवीं कक्ष में थी, मार्केट में एक नई वरियटी की एरासेर आए थे। मेरे सारे दोस्तों के पास तरह तरह के एरेसर्स थे। मुझे भी वैसे यरासेर खरीदने का बहुत मन हुआ। मेरे पापा को बोलती तो लाकर देते पर आे किसी काम से एक हफ्ते के लिए शहर से बाहर गए हुए थे। मेरी मां को ऐसे चीज़ों पे खर्च करना बिल्कुल पसंद नहीं था। मुझे पक्का यकीन था कि आे ज़रूर इरासेर के लिए पैसे नहीं देगी। उनके पैसे रखने का जगह मुझे मालूम था। तो मैंने एक शाम, उनको बिना बताए पचास रुपए निकाल ली। मुझे तो बस दस रुपए चाहिए था, पर उसमे दस रुपए का नोट नहीं थे। मां को बोली की खेलने जा रही हूं, स्कूल के पास की दुकान पे गई और वहा से दो एरासर ( पिंक वाली मेरे लिए और मोबाइल वाली एरसेर मेरे भाई के लिए) खरीद ली। और वहा एक और keychain थी, नोटबुक की तरह(पापा के लिए), बहुत पसंद आई, उसको भी पांच रुपए में खरीद ली और घर वापस अा गई। भाई को बाहर बुलाई, उसको मोबाइल वाली eraser दी और उससे कहा कि किसी से मत कहना कि एरसर मैंने दिया है और मा से तो बिल्कुल छुपा के रखना। ओ बहुत खुश हुआ, उसे खुश देखकर मुझे भी खुशी हुई।