उजाला कब अंधेरो से डरता है, वक़्त आने पर जरुर निकलता है। यू मुकम्मल नही हुआ करते मंसूबे हर शक्स के, यू तो ना जाने कौन-2 मेरे लिये दुआ बददुआ करता है। और जो शोर मचा रहे थे मेरी गुमनामी पर, उनको बता दो जरा, की शेर वार करने के लिये ही पीछे हटता है। और तेरे चिल्लाने से मुझे कुछ ज्यादा फर्क नही पड्ता। क्यूँ की जो खोखला होता है वो ही ज्यादा बजता हैं। (रोहित बैराग) #alone#पावर