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rohitbairag3891
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Rohit Bairag

मेरे हाथ खाली हैं मगर एक पुरा जहाँ मेरे पास है मै बहुत खुशनसीब हूँ अभी मेरी माँ मेरे पास है।।

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Rohit Bairag

he is my god
he is divine
what is my father for me
i cant define
how could be a single day for him?
what he do for me
i cant do for him till my whole life
his sacrifices , how he survive
his pain with always a smile
his anger , but care inside
you will always be in my heart papa
i also be want your son in my next life

      -.  rohit kumar

©Rohit Bairag 
  #FathersDay miss u papa
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Rohit Bairag

ये सच है पापा बहुत डाटते है,
कभी कभी बहुत ज्यादा मारते हैं।
खुल कर कभी प्यार जताते नही वो,
मगर हर मुश्किल में एक वो ही तो हाथ थामते है।

एक साया है सर पर अगर बाप घर पर है,
किस बात की परवाह , एक छत सर पर है।
अगर बाप हैं तो आँखो में ख्वाब है,
अगर बाप है तो बेटा लाट साहब है,
बाप है तो खवाईशे है,
वरना एक खुबसूरत मकान भी जर्जर है 

समझे तो उनकी शख्ती भी बहुत नर्म है,
जिम्मेदारियां होती है इसलिए मिजाज थोडा गर्म है 
आँसू तो नही आते उनकी आँखो में,
पर उनका ह्रदय बहुत मर्म है।

मां है तो मकान घर है, बाप है तो घर में उजाला है 
बच्चो की हर मुस्कान के पीछे, कोई मैले कपडे वाला है।
हा वो पापा है जिसने मेरे हर ख्वाब को सम्भाला है।

                                                      (रोहित बैराग)

©Rohit Bairag 
  #FathersDay papa
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Rohit Bairag

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Rohit Bairag

 वो बारिश का मौसम, वो हम दोनो का सँग।
वो तेरा बारिशो मे भीगना, वो गाढा इश्क का रँग।
वो मेरा तुझे बाहो मे भरना, और तेरा मुझसे वो लिपटने का ढँग
तेरी आहो का मेरी साँसों से टकराना।
और मेरी आँखों मे देखकर , तेरा वो आँखों का झुकाना।
क्या तुझे याद हे तु कैसे पिघल जाती थी मुझमे सिमट कर।-2
आज भी वो तेरी आहटे , मुझे करती हे तँग।
वो बारिश का मौसम, वो हम दोनो का सँग।

मै मशरुफ रहता था तेरी भीगी जुल्फें सवाँरने मे।
तु भी मेरी बाहो मे बहाना ठँड का लेकर छुपती थी।
जो साथ बैठकर लेते थे वो चाय कि चुस्कियां
तु अपने से नही चोरी चोरी मेरे ग्लास से ही पीती थी।
मुझे याद है तेरा बार बार भीगी जुल्फों को झटकाना।
और तेरे चेहरे से मेरा वो तेरी जुल्फो को हटाना।
तेरा इशक़ आज भी मुझे कर् जाता है  मल्ंग ।
वो बारिश का मौसम, वो हम दोनो का सँग।

वो तेरा बेधड़क बूँदों से खेलना।
मदहोशी मे वो बूँदों का तेरे लबो को चुमना।
भुल जाना सब कुछ परवाह किसी की किए बिना।
और तेरी आँखो मे मेरा गहराई तक डूबना।
इश्क क्या बयाँ करू , तुझे बूँदों का छुना और जलते थे हम।
वो बारिश का मौसम, वो हम दोनो का सँग।

©Rohit Bairag 
  #Sitaare
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Rohit Bairag

नीचे तपती रेत है,
ऊपर गीला आसमां।

यूंही तो नही बनती जमाने में कोई दास्तां,
सिर्फ हौंसला लेकर निकला हूं घर से में अकेला,
भरोसा है, एक दिन झुकेगी मंजिले भी,
और सजदा करेगा रास्ता।

©Rohit Bairag #Shadow
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Rohit Bairag

हर दिन बेपरवाह हो जाना, 
ना आंखों में कोई ख्वाब हो
ना किसी बात की कोई चिंता होना,
खेलना , कूदना , मां की गोद में बेखौफ सो जाना।
कौन नही चाहता, फिर से बच्चा हो जाना।

उतार कर रख देना बोझ जिंदगी का,
बाप के साए में रहना,
खुल कर रोना हल्की सी चोट लगने पर,
बिना मतलब के जिंदगी को जीना,
सुबह उठू तो मां का हाथ हो सर पर,
पापा का गोद में बैठा कर खाना खिलाना,
कौन नही चाहता , फिर से बच्चा हो जाना।

हकीकत से कोसो दूर,
किसी किस्से कहानियों में खो जाना,
गलतियां करना जान बूझ कर,
और हर गलती का माफ हो जाना,
खुले आसमान में उड़ना , किसी आजाद पंछी की तरह,
ना कोई मंजिल की चाह हो ,
मां का पल्लू पकड़ कर , बस पीछे पीछे हो जाना
कहा है जिंदगी , किस सफर पर हुं मैं,
थक गया हूं चलते चलते , बहुत अकेला हो गया हूं मैं,
बहुत खाम है रोहित तेरा तजुर्बा लोगो को पहचानने का,
कहा समझ है अभी दुनियादारी की,
सारी समझ को फेक कर कही, फिर से नादान जो जाना,
कौन नही चाहता , फिर से बच्चा हो जाना।

©Rohit Bairag 
  बच्चा हो जाना

बच्चा हो जाना #कविता

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Rohit Bairag

ये सच है पापा बहुत डाटते है,
कभी कभी बहुत ज्यादा मारते हैं।
खुल कर कभी प्यार जताते नही वो,
मगर हर मुश्किल में एक वो ही तो हाथ थामते है।

एक साया है सर पर अगर बाप घर पर है,
किस बात की परवाह , एक छत सर पर है।
अगर बाप हैं तो आँखो में ख्वाब है,
अगर बाप है तो बेटा लाट साहब है,
बाप है तो खवाईशे है,
वरना एक खुबसूरत मकान भी जर्जर है 

समझे तो उनकी शख्ती भी बहुत नर्म है,
जिम्मेदारियां होती है इसलिए मिजाज थोडा गर्म है 
आँसू तो नही आते उनकी आँखो में,
पर उनका ह्रदय बहुत मर्म है।

मां है तो मकान घर है, बाप है तो घर में उजाला है 
बच्चो की हर मुस्कान के पीछे, कोई मैले कपडे वाला है।
हा वो पापा है जिसने मेरे हर ख्वाब को सम्भाला है।

                                                     
 (By रोहित)

©Rohit Bairag #LostInSky
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Rohit Bairag

जाड़ा की तो या बात है,
लोई ओढ़े , अर सामने जलती आग है,
चार दोस्त साथ है,
कुछ मजाक , अर कुछ serious बात है।

जिंदगी है तो भाई कष्ट भी रहवेगा,
दुख सुख तो चीनी अर चाय वाला साथ है।
ना ज्यादा की चाह, अर ना कम का मलाल है,
दो जून की रोटी भतेरी, अर ऊपर वाला साथ है।

ना किसी गैला धोका, ना किसी का खाना,
देन वाला सब देगा, अगर नीत साफ है।
बस यही बाता की बात है,
शाम सीक बैठा हा , नुही बीत जा आधी रात है।

मुफली , रेवड़ी और गजहक , 
भाई इनका भी न्यारा स्वाद है,
इनका भी ले लिया करा मजा,
जब तक मुंह में दांत है।

जिंदगी का के भरोसा,
छोटी छोटी खुशियां में खुशी,
अच्छी बुरी अपनी तो बस यही याद है।
विचार मिले तो यार है,
ना किसी बात का घमंड, ना कोई मान है।

ना कोई ऐब , ना जलन, ना कोई बकवास है,
हम नू भी साथ हा, की सारा की कमाई एक समान है

मेरी ज्यादा किसी k साथ बनती भी नही,
Bs yehi चार दोस्त, 
जैसे घर te बाहर एक खानदान है।


जाड़ा के mahri तो गर्मी की भी यही बात है
बेरा ही नही पाट ता  कित चली जा है,
सारा दिन की जो थकान है,
जब सारा दोस्त का एक साथ है।

©Rohit Bairag #जिंदगी
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Rohit Bairag

हर रोज जाने अंजाने मेरा नाम, उसकी जुबा पर आजाए,
तो मोहब्बत थी।

ए हवाओ उसके कानो मे जिक्र करो मेरा,,
मेरा नाम सुनकर ,अगर वो सहम जाए, तो मोहब्बत थी।

बीते वक्त का कोई किस्सा , याद करे वो,
और उसके लब खुद बे खुद मुस्कुरा जाए,
 तो मोहब्बत थी।

जहां पहली दफा हम मिले थे कभी,
आते जाते गर उसके कदम वहा रूक जाए, तो मोहब्बत थी।

इंतजार करे , कोई बात छेड़े मेरी,
और बातो बातो मे अपनी सहेलियों से मेरा हाल पूछ जाए,
तो मोहब्बत थी।

कभी बिछड़े मिले , किसी जगह फिर कभी,
मुझे देख उसकी आंखे झुक जाए, तो मोहब्बत थी।

हर रोज जाने अंजाने........

©Rohit Bairag मुहब्बत

#Light

मुहब्बत #Light #शायरी

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Rohit Bairag

जिंदगी को समझते समझते , जिंदगी गुजर गई,
जहा से शुरू किया था सफर, राहे वही पर आकर रुक गई।
क्या हासिल किया, क्या गवाया मैने,
जो कुछ समेटा था अब तक, हर चीज आखिर बिखर गई।

                              by rohit kumar

©Rohit Bairag जिंदगी

#Dark

जिंदगी #Dark #शायरी

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