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Rahul Apne
नींद चैन त्याग सदा चलते रहे पिता अपने बच्चों के लिए वक़्त की तपिश झेलते रहे हँस कर हर मुश्किल हल करते रहे पापा गजब का हुनर था आपमें अपने दुःख कभी जाहिर नहीं किए हमारें खुशियों की बगिया को सींचते रहे।। #पिता जीवन के सबसे मजबूत #स्तंभ
Divyanshu Pathak
हमारे हाथ में है भी क्या! हम तो प्रकृति के हाथों कठपुतली हैं। सूर्य ही सृष्टि का प्रथम षोडशी पुरुष है, जगत का पिता है। अमृत और मृत्यु लोक दोनों को प्रभावित करता है। प्रकृति मां है। सृष्टि के सम्पूर्ण प्राणी सूर्य से उत्पन्न होते हैं। सूर्य किरणों द्वारा नीचे उतरते हैं। बादल बनते हैं। वर्षा के जल के साथ पृथ्वी की अग्नि में आहूत होते हैं। औषधि-वनस्पतियों का रूप लेते हैं। "कौनसा स्कूल" --02 🌷😊☕☕🌷☕🙏😊🌷 : यह उनका प्रथम स्थूल रूप में अवतरण होता है। यही प्राणियों का अन्न होता है। अन्न जठराग्नि में आहूत होता है। शरीर के सप्तधातुओं का निर्माण करते हुए शुक्र में समाहित हो जाता है। पांचवें स्तर पर माता के गर्भ में शरीर धारण करता है। अर्थात् माता-पिता भी बादल-बिजली की तरह एक पड़ाव ही होते हैं, जीव को आगे प्रकट करने का-स्थूल शरीर देकर। जीव को पैदा नहीं करते। जीव की अपनी यात्रा है, अपने कर्मों के अनुसार। उन्हीं फलों को भोगने के लिए समाज के बीच में विभिन्न सम्बन्ध स्थापित करन
"कौनसा स्कूल" --02 🌷😊☕☕🌷☕🙏😊🌷 : यह उनका प्रथम स्थूल रूप में अवतरण होता है। यही प्राणियों का अन्न होता है। अन्न जठराग्नि में आहूत होता है। शरीर के सप्तधातुओं का निर्माण करते हुए शुक्र में समाहित हो जाता है। पांचवें स्तर पर माता के गर्भ में शरीर धारण करता है। अर्थात् माता-पिता भी बादल-बिजली की तरह एक पड़ाव ही होते हैं, जीव को आगे प्रकट करने का-स्थूल शरीर देकर। जीव को पैदा नहीं करते। जीव की अपनी यात्रा है, अपने कर्मों के अनुसार। उन्हीं फलों को भोगने के लिए समाज के बीच में विभिन्न सम्बन्ध स्थापित करन
read moreDivyanshu Pathak
मंदिर ---03 कर्ता भाव के यथार्थ को जान पाना ही मूल भाव है। तभी आस्था के साथ अन्य शक्ति को स्वीकार किया जा सकता है जो स्वयं से अघिक शक्तिमान हो। समय के साथ उसी श्रद्धा के कारण आत्म साक्षात्कार होता है। कर्ता स्पष्ट होता है। कर्ता की प्रतिष्ठा के कारण मन मन्दिर हो जाता है। व्यक्ति को अपनी जीव रूप यात्रा का आभास होने लग जाता है कौनसा शरीर छोड़ा होगा कैसे माता के गर्भ से गुजरता हुआ इस देह में जी रहा है। पहले कितनी माताओं की देहों में से गुजर चुका होगा। Ramroop ji मैं मंदिर मन को ही मानता हूं इसलिए निर्माण के लिए उठापटक करते ठेकेदारों से कोई वास्ता नही और न ही दलित शोषितों से कोई कुंठा ।मैंने तो सर्वाधिक उसी वर्ग को मंदिरों की चौखट नापते देखा है । बालाजी,कैलादेवी, खाटू जी ,या वृंदावन, कहीं पर भी कोई रोक नही हां गांव में वो लोग अपनी मर्जी से ही यह कुंठा पाल बैठे है कि कोई उनको पूजा नहीं करने देगा तो यह भृम है क्योंकि इसके लिए "शबरी भाव" अपनाना होगा तब सामान्य वर्ग ब्राह्मण तो क्या भगवान भी भेद नही कर पाएंगे ।🤓😁😁😁🌹🙏🙏💕☕😀खैर मंदिर के लिए मेरे भाव
Ramroop ji मैं मंदिर मन को ही मानता हूं इसलिए निर्माण के लिए उठापटक करते ठेकेदारों से कोई वास्ता नही और न ही दलित शोषितों से कोई कुंठा ।मैंने तो सर्वाधिक उसी वर्ग को मंदिरों की चौखट नापते देखा है । बालाजी,कैलादेवी, खाटू जी ,या वृंदावन, कहीं पर भी कोई रोक नही हां गांव में वो लोग अपनी मर्जी से ही यह कुंठा पाल बैठे है कि कोई उनको पूजा नहीं करने देगा तो यह भृम है क्योंकि इसके लिए "शबरी भाव" अपनाना होगा तब सामान्य वर्ग ब्राह्मण तो क्या भगवान भी भेद नही कर पाएंगे ।🤓😁😁😁🌹🙏🙏💕☕😀खैर मंदिर के लिए मेरे भाव
read moreManish Kumar Savita
उस सल्तनत के स्तंभ गिर जाते है जहां प्यादों पर अत्याचार बड़ जाते है।। #Manish Kumar Savita #स्तंभ
Dev Kumar
मिडिया को देश का चौथा स्तंभ माना जाता है लेकिन यह स्तंभ अब खोखला हो चुका है इसलिए किसी भी हद तक गिर जाता है Payal Singh Sona Dr.Imran Hassan Barbhuiya
Payal Singh Sona Dr.Imran Hassan Barbhuiya
read moreGokul Tapadiya
आज सैकड़ों हिंदू मंदिर और विजय स्तंभ है जो सातवें अजूबों मे सामिल होते। राजस्थान एवं मेवाड़ की शान का प्रतीक चिन्ह चितौड़गढ़ के विजय स्तंभ का आश्चर्यजनक रचना की है ये स्तंभ भगवान विष्णु को समर्पित है । इसको राणा कुम्भा ने सन 1448 में महमूद खिलजी से युद्ध में जीतने के बाद उत्सव मनाने हेतु बनाया था। 122 फीट ऊंचा, 9 मंजिला विजय स्तंभ भारतीय स्थापत्य कला की बारीक एवं सुन्दर कारीगरी का नायाब नमूना है, जो नीचे से चौड़ा, बीच में संकरा एवं ऊपर से पुनः चौड़ा डमरू के आकार का है। इसमें ऊपर तक जाने के लिए 157 सीढ़ियाँ बनी हुई हैं। स्तम्भ का निर्माण महाराणा कुम्भा ने अपने समय के महान वास्तुशिल्पी मंडन के मार्गदर्शन में उनके बनाये नक़्शे के आधार पर करवाया।
Dr Prateek Gora
काल से महान तो , महान बस ज्ञान है । ज्ञान है तो मान है , मान से पहचान है । पहचान तू रख सदा , किसकी तुझे परवाह है । परवाह कर राह की , कि राह पर नजर है । नजर जो तेरी ना डगी , डगा फिर हर स्तंभ है । उस स्तंभ पर ही अंत , और ये अंत ही आरंभ है । #अंत #आरंभ #inspiration #success #lifequotes #DrGora
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