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Rabindra Kumar Ram
sunset nature *** ग़ज़ल *** *** हिज्र *** " मैं तुमसे मिलते हैं और बिछड़ जाते , अपने चाहतों का एहतियातन आता - पता तो दे , फिर तुझसे कैसे कहा मिला जाये , वाक़िफ हो लो जऱा तुम भी ऐसे में , जाने कब से मुझसे नागवार बने बैठे हो , फिर कहा कैसे तेरी तलाश की जाये , उल्फत के जज्बातों को तेरी रुह की तलब की जाये , मुंतज़िर जाने मैं कब से हू तेरे हिज्र में , अपनी रफ़ाक़त का जायका तो दे , फिर कहा कोई बात हो ग़ैरइरादतन , मुख़्तसर - मुख्तलिफ जाने मैं कब से इस ऐबज में , कर कोई फैसला फिर कोई बात तो हो , ऐसे में तुझसे काफिर कब तक रहा जाये . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** *** हिज्र *** " मैं तुमसे मिलते हैं और बिछड़ जाते , अपने चाहतों का एहतियातन आता - पता तो दे , फिर तुझसे कैसे कहा मिला जाये , वाक़िफ हो लो जऱा तुम भी ऐसे में ,
*** ग़ज़ल *** *** हिज्र *** " मैं तुमसे मिलते हैं और बिछड़ जाते , अपने चाहतों का एहतियातन आता - पता तो दे , फिर तुझसे कैसे कहा मिला जाये , वाक़िफ हो लो जऱा तुम भी ऐसे में ,
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" क्या बताऊं की जाहिर करु जो दस्तरस रहा हूं मैं , ये माएल ही है तेरा जो क़दर तेरे जुस्तुजू रहा हूं मैं , बेशक तु बेखबर रहीं हाले-ए-दिल से तु वाकिफ हुआ करती थी , आज भी तेरे मुंतज़िर का अब ताबीर बना बैठा सा हूं कभी हलाते-ए-हिज्र और हुआ करती थी " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " क्या बताऊं की जाहिर करु जो दस्तरस रहा हूं मैं , ये माएल ही है तेरा जो क़दर तेरे जुस्तुजू रहा हूं मैं , बेशक तु बेखबर रहीं हाले-ए-दिल से तु वाकिफ हुआ करती थी , आज भी तेरे मुंतज़िर का अब ताबीर बना बैठा सा हूं कभी हलाते-ए-हिज्र और हुआ करती थी " --- रबिन्द्र राम #जाहिर #दस्तरस #माएल #जुस्तुजू #हाले-ए-दिल #हलाते-ए-हिज्र #मुंतज़िर #ताबीर
" क्या बताऊं की जाहिर करु जो दस्तरस रहा हूं मैं , ये माएल ही है तेरा जो क़दर तेरे जुस्तुजू रहा हूं मैं , बेशक तु बेखबर रहीं हाले-ए-दिल से तु वाकिफ हुआ करती थी , आज भी तेरे मुंतज़िर का अब ताबीर बना बैठा सा हूं कभी हलाते-ए-हिज्र और हुआ करती थी " --- रबिन्द्र राम #जाहिर #दस्तरस #माएल #जुस्तुजू #हाले-ए-दिल #हलाते-ए-हिज्र #मुंतज़िर #ताबीर
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" फिर तेरी याद कहाँ मुनासिब हो ऐसे में, मैं मंसूब हु कब से तेरे ख्याले-ऐ-जिक्र से , जिक्र कर, जिरह कर ले कोई फैसला तो कर, आखिर मैं कब तलक तेरा रहुँ तेरे मुददते मुंतज़िर में . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " फिर तेरी याद कहाँ मुनासिब हो ऐसे में, मैं मंसूब हु कब से तेरे ख्याले-ऐ-जिक्र से , जिक्र कर, जिरह कर ले कोई फैसला तो कर, आखिर मैं कब तलक तेरा रहुँ तेरे मुददते मुंतज़िर में . " --- रबिन्द्र राम #मुनासिब #ख्याले-ऐ-जिक्र #मंसूब #जिक्र #जिरह #मुददते #मुंतज़िर
Rabindra Kumar Ram
" इक तु हैं जा चुकी हैं, देख मैं तेरा तलबगार अब भी हूँ, रास आये मुझे कोई और भी महज़ ये बात कैसी, मगर मैं तेरे दिद का मुंतज़िर अब भी हूँ ." --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " इक तु हैं जा चुकी हैं, देख मैं तेरा तलबगार अब भी हूँ, रास आये मुझे कोई और भी महज़ ये बात कैसी, मगर मैं तेरे दिद का मुंतज़िर अब भी हूँ ." --- रबिन्द्र राम
" इक तु हैं जा चुकी हैं, देख मैं तेरा तलबगार अब भी हूँ, रास आये मुझे कोई और भी महज़ ये बात कैसी, मगर मैं तेरे दिद का मुंतज़िर अब भी हूँ ." --- रबिन्द्र राम
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" फकत ये भी होता कही कुछ बात तो बनता , ना मिलते हम वेशक कभी कहीं मुंतज़िर तुम भी मैं भी बनता. " ये दौर हैं हमारे फासलों का तो क्या किया जाये, फ़ुर्क़त से कभी कही मुनासिब तुम भी मैं भी होगें. " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " फकत ये भी होता कही कुछ बात तो बनता , ना मिलते हम वेशक कभी कहीं मुंतज़िर तुम भी मैं भी बनता. " ये दौर हैं हमारे फासलों का तो क्या किया जाये, फ़ुर्क़त से कभी कही मुनासिब तुम भी मैं भी होगें. " --- रबिन्द्र राम #मुंतज़िर #फासलों #फ़ुर्क़त #मुनासिब
Rabindra Kumar Ram
" फकत ये भी होता कही कुछ बात तो बनता , ना मिलते हम वेशक कभी कहीं मुंतज़िर तुम भी मैं भी बनता. " ये दौर हैं हमारे फासलों का तो क्या किया जाये, फ़ुर्क़त से कभी कही मुनासिब तुम भी मैं भी होगें. " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " फकत ये भी होता कही कुछ बात तो बनता , ना मिलते हम वेशक कभी कहीं मुंतज़िर तुम भी मैं भी बनता. " ये दौर हैं हमारे फासलों का तो क्या किया जाये, फ़ुर्क़त से कभी कही मुनासिब तुम भी मैं भी होगें. " --- रबिन्द्र राम #मुंतज़िर #फासलों #फ़ुर्क़त #मुनासिब
Rabindra Kumar Ram
" फिर कही मैं तेरा मुंतज़िर रहुँ , सारे सय में मैं तेरा ख्याल रहुँ. " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " फिर कही मैं तेरा मुंतज़िर रहुँ , सारे सय में मैं तेरा ख्याल रहुँ. " --- रबिन्द्र राम #मुंतज़िर #सय #ख्याल
Rabindra Kumar Ram
" मत पूछ अब मेरे ख्यालों की मंजिल क्या होगी, तसव्वुर ख्यालों अब जो भी हो हयाते-ए-हिज्र ये हयात फिर क्या होगी, मत पुछ अब हमारी हसरत फिर क्या होगी, मैं हमारे खसारे की बात क्या करु तलब ये मुंतज़िर हिज्र में होगी... " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " मत पूछ अब मेरे ख्यालों की मंजिल क्या होगी, तसव्वुर ख्यालों अब जो भी हो हयाते-ए-हिज्र ये हयात फिर क्या होगी, मत पुछ अब हमारी हसरत फिर क्या होगी, मैं हमारे खसारे की बात क्या करु तलब ये मुंतज़िर हिज्र में होगी... " --- रबिन्द्र राम #ख्यालों #मंजिल #तसव्वुर #हयात #खसारे #तलब #मुंतज़िर #हिज्र
रोहित 'हीरू' मिश्रा
लग भी जाओ गले से वक्त अब और न ज़ाया करो बुलाऊं ग़र किसी शाम साहिल पे मिलने आया करो इक सजदे को मुंतज़िर तन्हा अब होने लगा मुंतशिर ग़र कोई वादा करो हीरू तो फिर उसको निभाया करो ©रोहित 'हीरू' #वक्त #ज़ाया #शाम #साहिल #सजदा #मुंतज़िर #मुंतशिर #वादा
रोहित 'हीरू' मिश्रा
काश ये सब झूठ होता, 'हीरू' मुंतज़िर होता उम्र तलक मोहब्बत के वादे निभाने को काश ये सब झूठ होता । ये सब झूठ होता, काश 'हीरू' मुंतज़िर होता उम्रतलक मोहब्बत के वादे निभाने को । ©Rohit Mishra #Alas #हीरू #मुंतज़िर #मोहब्बत #वादे #काश Himanshu Rai Sam Sarwara falak khan chisti Shiva Pateer neha yadav