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parineeta
मैं जितना ही खुद को मज़बूत बनाती हूँ जितना ही खुद को बिखरने से बचाती हूँ जितना ही खुद की खुशी के उपाय निकालती हूँ जितना ही अतीत को भूलकर आगे बढ़ती हूँ उतना ही रास्तों को भी मैंने कठिन होते देखा है..... जितना ही दोनों पाँव की नज़दीकियां बढ़ा के पुनः चलने का प्रयास करती हूँ ये मार्ग उतना ही संकीर्ण हो जाती है....... #संकीर्ण #मार्ग पर #स्वयं ......
Moushumi Mukherjee
#संकीर्ण मानसिकता ही चरित्रहीन होती हैं। विचारों को प्रोत्साहित और विकसित करें विकास की ओर एक और नया कदम ©Moushumi Mukherjee #Anger
Rashmi Maurya
अगर आपको वो काम नहीं आता जो अपने कभी किया नहीं है तो इसमें आपकी कोई गलती नहीं है इस असमर्थता के चलते आपकी योग्यता पर सवाल उठाने वाले की मानसिकता अवश्य संकीर्ण है उचित यही है की उनकी इस मानसिकता की वजह से आप अपनी मानसिक अवस्था कभी प्रभावित न होने दे| #afraidofbeingjudged #afrai #असमर्थता #योग्यता #मानसिकता #संकीर्ण #मानसिकअवस्था if someone judged you for enablity in doing that which you even never try to perform s/he is mentally sick never allow such narrow minded people to make you mentally sick.
Parul Sharma
कविताएँ व्यक्तिगत नहीं होती अगर होती तो ..... डायरी में ही दफन रहती और कभी न निकल पाती कवि की दराज़ से। कविताएँ व्यक्तिगत नहीं होती। कविताएँ मन के भाव होती हैं और दिल के भाव तो सिर्फ अपने लिए नहीं होते जगते हैं ये अपनों के प्यार से कविताएँ व्यक्तिगत नहीं होती। रिश्ते नाते,समाज,प्रकृति,जीव-जन्तु पेड़-पौधों,पशु-पक्षी,ईश्वर व ईश्वरीय कृति कविताएँ उमड़ पड़ती हैं इनकी आहट से कविताएँ व्यक्तिगत नहीं होती। घटना-दुर्घटना,न्याय-अन्याय,कुरीती-सुरीती कविताएँ बोल उठी संतुलन बिगड़ा जब इनके प्रभाव व दुष्प्रभाव से कविताएँ व्यक्तिगत नहीं होती । कविताएँ इतनी संकीर्ण कैसे हो सकती है कि खुद तक ही सीमित रहे एक कवि तक सीमित कविताएँ संकीर्ण नहीं होती कविताएँ व्यक्तिगत नहीं होती । पारुल शर्मा #NojotoQuote कविताएँ व्यक्तिगत नहीं होती अगर होती तो ..... डायरी में ही दफन रहती और कभी न निकल पाती कवि की दराज़ से। कविताएँ व्यक्तिगत नहीं होती। कविताएँ मन के भाव होती हैं और दिल के भाव तो सिर्फ अपने लिए नहीं होते जगते हैं ये अपनों के प्यार से
कविताएँ व्यक्तिगत नहीं होती अगर होती तो ..... डायरी में ही दफन रहती और कभी न निकल पाती कवि की दराज़ से। कविताएँ व्यक्तिगत नहीं होती। कविताएँ मन के भाव होती हैं और दिल के भाव तो सिर्फ अपने लिए नहीं होते जगते हैं ये अपनों के प्यार से
read moreDhaneshdwivediwriter
संकीर्ण विचार, झूट, सत्ता, स्वार्थ, से युक्त जो समाज है जज्बात, सत्य, दया, सेवा भाव, वो कहाँ समझता है जज्बात #संकीर्ण #विचार, #झूट #सत्ता, #स्वार्थ, से भरा जो #समाज है #जज्बात, #सत्य, #दया, #सेवा #भाव, वो कहाँ समझता है
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