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CalmKazi
तुम गफ़लत-ए-उल्फत, किसी और से कर बैठो तो बताना एक बरसात ढूंढ़ लूँगा मैं, इस दश्त से फिरदौस में । #SlyCollab with Ayena Makkar Girdhar मुआफ़ी अगर कुछ गलत फरमाया हो तो ! 😊 #CalmKaziCollabs #CalmKaziWrites #YQBaba #YQDidi #हिंदी #couplet #Hindi #मोहब्बत #फिरदौस #दश्त #गफ़लत #उल्फत #बरसात #अमावस
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read moreDR. SANJU TRIPATHI
दश्त पर दश्त काटे जा रहे हैं आशियां बनाने के लिए। कल को तरसेगी दुनियां स्वच्छ हवा में सांस लेने के लिए। 💐नमस्कार ..मैं GulnaaR Tanha Raatein परिवार में आपका हार्दिक स्वागत करती हूँ ..ऊपर दिये गये चित्र को अपने सुंदर शब्दों से सजाये। 💐अपने भाव 2 लाईनों में लिखें .... (2 लाइन्स couplet / मिसरा ऊर्दू शायरी) 💐 Font size छोटा रखें ताकी wall paper खराब न हो ।
💐नमस्कार ..मैं GulnaaR Tanha Raatein परिवार में आपका हार्दिक स्वागत करती हूँ ..ऊपर दिये गये चित्र को अपने सुंदर शब्दों से सजाये। 💐अपने भाव 2 लाईनों में लिखें .... (2 लाइन्स couplet / मिसरा ऊर्दू शायरी) 💐 Font size छोटा रखें ताकी wall paper खराब न हो ।
read moreShankki Sharma
शहर अब शहर कँहा रहे दश्त बन गए है, इँसान अब इँसान कँहा रहे जानवर बन गए है। 💐नमस्कार ..मैं GulnaaR Tanha Raatein परिवार में आपका हार्दिक स्वागत करती हूँ ..ऊपर दिये गये चित्र को अपने सुंदर शब्दों से सजाये। 💐अपने भाव 2 लाईनों में लिखें .... (2 लाइन्स couplet / मिसरा ऊर्दू शायरी) 💐 Font size छोटा रखें ताकी wall paper खराब न हो ।
💐नमस्कार ..मैं GulnaaR Tanha Raatein परिवार में आपका हार्दिक स्वागत करती हूँ ..ऊपर दिये गये चित्र को अपने सुंदर शब्दों से सजाये। 💐अपने भाव 2 लाईनों में लिखें .... (2 लाइन्स couplet / मिसरा ऊर्दू शायरी) 💐 Font size छोटा रखें ताकी wall paper खराब न हो ।
read moreShreeya Dhapola
मैं दश्त दश्त फिरता रहा परवाह औरों की करता रहा ग़ुबार लेकर चलता रहा मस्नोई मैं बिखरता रहा मैं जब से शजर हुआ हवाओं से बिफरता रहा ना बैर है किसी से ना गिला खुद ही में मैं निखरता रहा टूटेगा अब नहीं ये हौंसला बद मस्त मैं उभरता रहा ये अक्स है मेरा कुछ नया अपनी राह खुद चुनता रहा A_tale_for_you #nojotohindi #nojotourdu #ghazal #newme #main #shayari #identity #motivation
Pramod Tiwari
.इस हरे भरे दश्त में एक शज़र जो सूखा है । देखो क्या खूबी से ग़म ए दश्त को समेटा है । @प्रमोद
Satyendra vermaji
सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं सो उसके शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं सुना है रब्त है उसको ख़राब हालों से सो अपने आप को बरबाद कर के देखते हैं सुना है दर्द की गाहक है चश्म-ए-नाज़ उसकी सो हम भी उसकी गली से गुज़र के देखते हैं सुना है उसको भी है शेर-ओ-शायरी से शगफ़ सो हम भी मोजज़े अपने हुनर के देखते हैं सुना है बोले तो बातों से फूल झड़ते हैं ये बात है तो चलो बात कर के देखते हैं सुना है रात उसे चाँद तकता रहता है सितारे बाम-ए-फ़लक से उतर के देखते हैं सुना है हश्र हैं उसकी ग़ज़ाल सी आँखें सुना है उस को हिरन दश्त भर के देखते हैं सुना है दिन को उसे तितलियाँ सताती हैं सुना है रात को जुगनू ठहर के देखते हैं सुना है रात से बढ़ कर हैं काकुलें उसकी सुना है शाम को साये गुज़र के देखते हैं सुना है उसकी सियाह चश्मगी क़यामत है सो उसको सुरमाफ़रोश आह भर के देखते हैं सुना है उसके लबों से गुलाब जलते हैं सो हम बहार पर इल्ज़ाम धर के देखते हैं सुना है आईना तमसाल है जबीं उसकी जो सादा दिल हैं उसे बन सँवर के देखते हैं सुना है जब से हमाइल हैं उसकी गर्दन में मिज़ाज और ही लाल-ओ-गौहर के देखते हैं सुना है चश्म-ए-तसव्वुर से दश्त-ए-इम्काँ में पलंग ज़ाविए उसकी कमर के देखते हैं सुना है उसके बदन के तराश ऐसे हैं के फूल अपनी क़बायेँ कतर के देखते हैं वो सर-ओ-कद है मगर बे-गुल-ए-मुराद नहीं के उस शजर पे शगूफ़े समर के देखते हैं बस एक निगाह से लुटता है क़ाफ़िला दिल का सो रहर्वान-ए-तमन्ना भी डर के देखते हैं सुना है उसके शबिस्तान से मुत्तसिल है बहिश्त मकीन उधर के भी जलवे इधर के देखते हैं रुके तो गर्दिशें उसका तवाफ़ करती हैं चले तो उसको ज़माने ठहर के देखते हैं किसे नसीब के बे-पैरहन उसे देखे कभी-कभी दर-ओ-दीवार घर के देखते हैं कहानियाँ हीं सही सब मुबालग़े ही सही अगर वो ख़्वाब है ताबीर कर के देखते हैं अब उसके शहर में ठहरें कि कूच कर जायेँ फ़राज़ आओ सितारे सफ़र के देखते हैं अभी कुछ और करिश्मे ग़ज़ल के देखते हैं फ़राज़ अब ज़रा लहजा बदल के देखते हैं जुदाइयां तो मुक़द्दर हैं फिर भी जाने सफ़र कुछ और दूर ज़रा साथ चलके देखते हैं रह-ए-वफ़ा में हरीफ़-ए-खुराम कोई तो हो सो अपने आप से आगे निकल के देखते हैं तू सामने है तो फिर क्यों यकीं नहीं आता यह बार बार जो आँखों को मल के देखते हैं ये कौन लोग हैं मौजूद तेरी महफिल में जो लालचों से तुझे, मुझे जल के देखते हैं यह कुर्ब क्या है कि यकजाँ हुए न दूर रहे हज़ार इक ही कालिब में ढल के देखते हैं न तुझको मात हुई न मुझको मात हुई सो अबके दोनों ही चालें बदल के देखते हैं यह कौन है सर-ए-साहिल कि डूबने वाले समन्दरों की तहों से उछल के देखते हैं अभी तलक तो न कुंदन हुए न राख हुए हम अपनी आग में हर रोज़ जल के देखते हैं बहुत दिनों से नहीं है कुछ उसकी ख़ैर ख़बर चलो फ़राज़ को ऐ यार चल के देखते हैं Ahmad Faraz
Ahmad Faraz
read moreRashid MoMeen
सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं सो उस के शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं सुना है रब्त है उस को ख़राब-हालों से सो अपने आप को बरबाद कर के देखते हैं सुना है दर्द की गाहक है चश्म-ए-नाज़ उस की सो हम भी उस की गली से गुज़र के देखते हैं सुना है उस को भी है शेर ओ शाइरी से शग़फ़ सो हम भी मो'जिज़े अपने हुनर के देखते हैं सुना है बोले तो बातों से फूल झड़ते हैं ये बात है तो चलो बात कर के देखते हैं सुना है रात उसे चाँद तकता रहता है सितारे बाम-ए-फ़लक से उतर के देखते हैं सुना है दिन को उसे तितलियाँ सताती हैं सुना है रात को जुगनू ठहर के देखते हैं सुना है हश्र हैं उस की ग़ज़ाल सी आँखें सुना है उस को हिरन दश्त भर के देखते हैं सुना है रात से बढ़ कर हैं काकुलें उस की सुना है शाम को साए गुज़र के देखते हैं सुना है उस की सियह-चश्मगी क़यामत है सो उस को सुरमा-फ़रोश आह भर के देखते हैं सुना है उस के लबों से गुलाब जलते हैं सो हम बहार पे इल्ज़ाम धर के देखते हैं सुना है आइना तिमसाल है जबीं उस की जो सादा दिल हैं उसे बन-सँवर के देखते हैं सुना है जब से हमाइल हैं उस की गर्दन में मिज़ाज और ही लाल ओ गुहर के देखते हैं सुना है चश्म-ए-तसव्वुर से दश्त-ए-इम्काँ में पलंग ज़ाविए उस की कमर के देखते हैं सुना है उस के बदन की तराश ऐसी है कि फूल अपनी क़बाएँ कतर के देखते हैं वो सर्व-क़द है मगर बे-गुल-ए-मुराद नहीं कि उस शजर पे शगूफ़े समर के देखते हैं बस इक निगाह से लुटता है क़ाफ़िला दिल का सो रह-रवान-ए-तमन्ना भी डर के देखते हैं सुना है उस के शबिस्ताँ से मुत्तसिल है बहिश्त मकीं उधर के भी जल्वे इधर के देखते हैं रुके तो गर्दिशें उस का तवाफ़ करती हैं चले तो उस को ज़माने ठहर के देखते हैं किसे नसीब कि बे-पैरहन उसे देखे कभी कभी दर ओ दीवार घर के देखते हैं कहानियाँ ही सही सब मुबालग़े ही सही अगर वो ख़्वाब है ताबीर कर के देखते हैं अब उस के शहर में ठहरें कि कूच कर जाएँ 'फ़राज़' आओ सितारे सफ़र के देखते हैं सुना हैं उसे लोग आँख भर के देखते हैं part 2 #Nojoto
सुना हैं उसे लोग आँख भर के देखते हैं part 2
read moreRashid MoMeen
सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं सो उस के शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं सुना है रब्त है उस को ख़राब-हालों से सो अपने आप को बरबाद कर के देखते हैं सुना है दर्द की गाहक है चश्म-ए-नाज़ उस की सो हम भी उस की गली से गुज़र के देखते हैं सुना है उस को भी है शेर ओ शाइरी से शग़फ़ सो हम भी मो'जिज़े अपने हुनर के देखते हैं सुना है बोले तो बातों से फूल झड़ते हैं ये बात है तो चलो बात कर के देखते हैं सुना है रात उसे चाँद तकता रहता है सितारे बाम-ए-फ़लक से उतर के देखते हैं सुना है दिन को उसे तितलियाँ सताती हैं सुना है रात को जुगनू ठहर के देखते हैं सुना है हश्र हैं उस की ग़ज़ाल सी आँखें सुना है उस को हिरन दश्त भर के देखते हैं सुना है रात से बढ़ कर हैं काकुलें उस की सुना है शाम को साए गुज़र के देखते हैं सुना है उस की सियह-चश्मगी क़यामत है सो उस को सुरमा-फ़रोश आह भर के देखते हैं सुना है उस के लबों से गुलाब जलते हैं सो हम बहार पे इल्ज़ाम धर के देखते हैं सुना है आइना तिमसाल है जबीं उस की जो सादा दिल हैं उसे बन-सँवर के देखते हैं सुना है जब से हमाइल हैं उस की गर्दन में मिज़ाज और ही लाल ओ गुहर के देखते हैं सुना है चश्म-ए-तसव्वुर से दश्त-ए-इम्काँ में पलंग ज़ाविए उस की कमर के देखते हैं सुना है उस के बदन की तराश ऐसी है कि फूल अपनी क़बाएँ कतर के देखते हैं वो सर्व-क़द है मगर बे-गुल-ए-मुराद नहीं कि उस शजर पे शगूफ़े समर के देखते हैं बस इक निगाह से लुटता है क़ाफ़िला दिल का सो रह-रवान-ए-तमन्ना भी डर के देखते हैं सुना है उस के शबिस्ताँ से मुत्तसिल है बहिश्त मकीं उधर के भी जल्वे इधर के देखते हैं रुके तो गर्दिशें उस का तवाफ़ करती हैं चले तो उस को ज़माने ठहर के देखते हैं किसे नसीब कि बे-पैरहन उसे देखे कभी कभी दर ओ दीवार घर के देखते हैं कहानियाँ ही सही सब मुबालग़े ही सही अगर वो ख़्वाब है ताबीर कर के देखते हैं अब उस के शहर में ठहरें कि कूच कर जाएँ 'फ़राज़' आओ सितारे सफ़र के देखते हैं उसके साहर मैं ठहर के देखते हैं
उसके साहर मैं ठहर के देखते हैं
read morePoonam Aggarwal'मीता'
आज भी हमारे इश्क़ की दास्तां दश्त में गूँजती है आज भी हमारा प्यार मेरी जिंदगी की रोशनी है ये दिल की लगी है यारों आसानी से बुझती नही दश्त-जंगल,रेगिस्तान #दिल#इश्क़#दश्त#nojotopost#nojotohindi#shaayri
दश्त-जंगल,रेगिस्तान #दिल#इश्क़#दश्त#nojotopost#nojotohindi#shaayri
read moresamandar Speaks
परिन्दो मे सुगबुगाहटहै, बज्म मे खलबली तो हैं मेरे लहू से दश्त मे कुछ रोशनी तो.है झिलमाती है मेरी सदा अंधेरों मे आज भी मेरे शब्दों मे खुदा की बंदगी तो है भीड़ मे सफर है तन्हाई मे आवारगी है शुक्र है अभी जिन्दा जिन्दा-दिली तो है वो फकीर हैं सबसे जुदा है तन्हा है उसके हिस्से मे जहाँ की मयकशी तो है कोई जीत कर हारे या हार कर जीते मेरे हिस्से ना सही तेरे हिस्से मे खुशी तो है मेरे लहू से दश्त मे कुछ रौशनी तो है राजीव मिश्रा #NojotoQuote Mukesh Poonia Arun Raina Vinay Vinayak Future Novelist Disha Patel
Mukesh Poonia Arun Raina Vinay Vinayak Future Novelist Disha Patel
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