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Nitu Singh जज़्बातदिलके
बिछड़े जो तुमसे तो खुद के ना रहे हक हो अगर मुझसे तो आकर लग जा गले @Nitu Singh जज़्बातदिलके @singhnitu29078 @singhnitu29078.official @singhnitu29 @nitusingh29078 @जज़्बात दिल के @singhnitu29078
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Ek raat ki baat hai...! एक रात की बात है...! Nitu Singh जज्बातदिलके #नीतू #जज़्बात_दिल_के #singhnitu #रातकाअफसाना #Reels reelsvideoシ #ytshorts #Shorts #virals
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हां तुमसे मोहब्बत है ये कहने की ज़रूरत है क्या ?? हां तेरी फ़िक्र होती है हां तेरी फ़िक्र होती है ये जताने की ज़रूरत है क्या ?? हां तेरे बिन रह नहीं पाते हैं हां तेरे बिन रह नहीं पाते हैं ये बताने की ज़रूरत है क्या ?? हां तुमसे ही मेरी जिंदगी है हां तुमसे ही मेरी जिंदगी है ये समझाने की ज़रूरत है क्या ?? ©Nitu Singh जज़्बातदिलके हां तुमसे मोहब्बत है हां तुमसे मोहब्बत है ये कहने की ज़रूरत है क्या ?? हां तेरी फ़िक्र होती है हां तेरी फ़िक्र होती है ये जताने की ज़रूरत है क्या ??
हां तुमसे मोहब्बत है हां तुमसे मोहब्बत है ये कहने की ज़रूरत है क्या ?? हां तेरी फ़िक्र होती है हां तेरी फ़िक्र होती है ये जताने की ज़रूरत है क्या ??
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क्या एहसास कभी छुप सकते हैं? क्या जज़्बात कभी रुक सकते हैं दिल में छुपी हर बात कैसे किसी से छुप सकते हैं ये तो एक ऐसा सागर है जिसमें हम सिर्फ डूब सकते हैं इश्क़ के आग के भंवर में सिर्फ़ जल सकते हैं पर इस आग के जलने में भी ना सोचा कि हम कभी बच सकते थे ©Nitu Singh जज़्बातदिलके क्या एहसास कभी छुप सकते हैं? क्या जज़्बात कभी रुक सकते हैं दिल में छुपी हर बात कैसे किसी से छुप सकते हैं ये तो एक ऐसा सागर है जिसमें हम सिर्फ डूब सकते हैं इश्क़ के आग के भंवर में सिर्फ़ जल सकते हैं
क्या एहसास कभी छुप सकते हैं? क्या जज़्बात कभी रुक सकते हैं दिल में छुपी हर बात कैसे किसी से छुप सकते हैं ये तो एक ऐसा सागर है जिसमें हम सिर्फ डूब सकते हैं इश्क़ के आग के भंवर में सिर्फ़ जल सकते हैं
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इश्क़ की खुशबू धीरे धीरे खोने लगी है तुमसे तुम्हारी ज़िक्र अब कुछ कम होने लगी है तुम रखो सबसे वास्ता मुझे मेरी आदत अब खुद से होने लगी है ©Nitu Singh जज़्बातदिलके इश्क़ की खुशबू धीरे धीरे खोने लगी है तुमसे तुम्हारी ज़िक्र अब कुछ कम होने लगी है तुम रखो सबसे वास्ता मुझे मेरी आदत अब खुद से होने लगी है
इश्क़ की खुशबू धीरे धीरे खोने लगी है तुमसे तुम्हारी ज़िक्र अब कुछ कम होने लगी है तुम रखो सबसे वास्ता मुझे मेरी आदत अब खुद से होने लगी है
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कुछ अलग था उसमें जो सबको दिखा नहीं कुछ तो खास था उसमें जो ज़ुबां से कहा नहीं होती है रोज़ गुफ्तगू उनसे पर लफ्ज़ों से ज़ाहिर हुआ नहीं ©Nitu Singh जज़्बातदिलके कुछ अलग था उसमें जो सबको दिखा नहीं कुछ तो खास था उसमें वो ज़ुबां से कहा नहीं होती है रोज़ गुफ्तगू उनसे पर लफ्ज़ों से ज़ाहिर हुआ नहीं ©️Nitu Singh जज़्बातदिलके
कुछ अलग था उसमें जो सबको दिखा नहीं कुछ तो खास था उसमें वो ज़ुबां से कहा नहीं होती है रोज़ गुफ्तगू उनसे पर लफ्ज़ों से ज़ाहिर हुआ नहीं ©️Nitu Singh जज़्बातदिलके
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रात का सामना करना है आज फिर चांद से बातें करनी है हजारों ख्वाहिशें जो देखी है उसको फिर से पूरी करनी है हर मुमकिन कोशिश ज़ारी है फिर राहों में काटें मिलने बाकी है हौंसला अपना नहीं तोड़नी है ख्वाबों से हकीकत में पूरी करनी है ©Nitu Singh जज़्बातदिलके #WoRaat रात का सामना करना है आज फिर चांद से बातें करनी है हजारों ख्वाहिशें जो देखी है उसको फिर से पूरी करनी है हर मुमकिन कोशिश ज़ारी है फिर राहों में काटें मिलने बाकी है हौंसला अपना नहीं तोड़नी है
#WoRaat रात का सामना करना है आज फिर चांद से बातें करनी है हजारों ख्वाहिशें जो देखी है उसको फिर से पूरी करनी है हर मुमकिन कोशिश ज़ारी है फिर राहों में काटें मिलने बाकी है हौंसला अपना नहीं तोड़नी है
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#मसरुफ़ियत मसरूफ़ियत में आदमी इतना मशगू़ल हो जाता है कितने दिन वो ख़ुद से नहीं मिल पाता है भागता रहता है सुबह से शाम कभी न खत्म होती दौड़ में जो पास है ख़ुद के उसको भी खो जाता है आलम यह हो जाता है भूख बढ़ जाती है दुनिया की दौलत की अपनी रूह को मारता जाता है जवानी में जिस पैसे को मेहनत से बटोरा था बुढापे में अपनी बीमारी पर लुटाता है काम फिर भी कुछ नहीं आता है आख़िर में ईश्वर अल्लाह चिल्लाता है ज़िंदगी बीत जाती है तब समझ आता है जवानी में ही क्यों नहीं सजदे में सर झुकाता है ©Nitu Singh जज़्बातदिलके #मसरुफ़ियत मसरूफ़ियत में आदमी इतना मशगू़ल हो जाता है कितने दिन वो ख़ुद से नहीं मिल पाता है भागता रहता है सुबह से शाम कभी न खत्म होती दौड़ में
#मसरुफ़ियत मसरूफ़ियत में आदमी इतना मशगू़ल हो जाता है कितने दिन वो ख़ुद से नहीं मिल पाता है भागता रहता है सुबह से शाम कभी न खत्म होती दौड़ में
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किसी शायरी की तरह हर अल्फाज़ को समझने की ज़रूरत है जज्बातों को कहने के लिए हर लफ्ज़ों को समझने की ज़रूरत है ©Nitu Singh जज़्बातदिलके किसी शायरी की तरह हर अल्फाज़ को समझने की ज़रूरत है जज्बातों को कहने के लिए हर लफ्ज़ों को समझने की ज़रूरत है ©️ Nitu Singh जज़्बातदिलके
किसी शायरी की तरह हर अल्फाज़ को समझने की ज़रूरत है जज्बातों को कहने के लिए हर लफ्ज़ों को समझने की ज़रूरत है ©️ Nitu Singh जज़्बातदिलके
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#विश्व_पुरूष_दिवस यह संसार पुरुषों के बिना नीरस है हर रिश्ते में पुरुष की अपनी गरिमा जरूरत और जगह होती है जीवन मे रिश्ते गिरते हैं तो सम्भाल लेते हैं कोई रूठे तो मना लेते हैं झुककर और हंसकर हर मुश्किल को हल कर लेते हैं पुरुष होते ही ऐसे हैं जनाब नारी बिन पुरुष अधूरी है ये संसार बिन पुरुष नीरस हक़ जमाते नही दुख कभी दिखाते नही टूटना आता नही किसी का तिरस्कार भाता नही पुरुष होते ही ऐसे हैं ©Nitu Singh जज़्बातदिलके #विश्व_पुरूष_दिवस यह संसार पुरुषों के बिना नीरस है हर रिश्ते में पुरुष की अपनी गरिमा जरूरत और जगह होती है जीवन मे रिश्ते गिरते हैं तो सम्भाल लेते हैं
#विश्व_पुरूष_दिवस यह संसार पुरुषों के बिना नीरस है हर रिश्ते में पुरुष की अपनी गरिमा जरूरत और जगह होती है जीवन मे रिश्ते गिरते हैं तो सम्भाल लेते हैं
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