Find the Best कोरी Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos aboutआवेला होती लाल कोरी, कोरी लफ्फाजी, कोलिजा दुफल कोरी,
pooja d
कोऱ्या करकरीत हृदयावर नाव तुझं कोरलं गेलं,, आता नाव ते पुसणं कठीण हृदयाने अस मला सांगितलं....... #हृदय #कोरी #प्रेम #नावं #तुझं #चारोळी
Harishkumar Kalal
आंखो मे दर्द था उसके मगर उसकी तस्वीर बयां न कर पाई, मैंने बहुत करीब से पढ़ा है उस शख्स को माहिर है छुपाने में..!! _*hk@कोरी किताबे..! ©Harishkumar Kalal #कोरी किताब
#कोरी किताब
read moreBhanwarlal Meghwal
गज़ल की तरह चेहरा है उसका अच्छा तो लगता है पर अच्छे से समझ में नहीं आता ...!! PBhanwar..... #Love #Dil #Eyes #कोरी कल्पना 😄😄 sk. manjur zarri farha jeevesh yadav Suman Zaniyan Adv.Raj Kaushik🙏( AD.Grk)🙏
CHANDRASEN KORI
ना जाने आँखे क्या ढूंढ रही है... मंजिल करीब है पर आंखे.. शायद तेरे चेहरे की हंसी ढूंढ रही है.. -चंद्रसेन कोरी.. #कोरी#अल्फ़ाज़एकोरी #kori #alfaazayekori
#कोरी#अल्फ़ाज़एकोरी #Kori #alfaazayekori
read moreअजीत उपाध्याय
चूड़ियों बिन सुनी तुम्हारी कलाई मेरे जिंदगी की हकीकत बयाँ कर रही है #कोरी जिंदगी #जजसहिबा
Bambhu Kumar (बम्भू)
4. पड़ गई इसकी भनक थी ठाकुरों के कान में वे इकट्ठे हो गए थे सरचंप के दालान में दृष्टि जिसकी है जमी भाले की लम्बी नोक पर देखिए सुखराज सिंग बोले हैं खैनी ठोंक कर क्या कहें सरपंच भाई क्या ज़माना आ गया कल तलक जो पाँव के नीचे था रुतबा पा गया कहती है सरकार कि आपस मिलजुल कर रहो सुअर के बच्चों को अब कोरी नहीं हरिजन कहो देखिए ना यह जो कृष्णा है चमारो के यहाँ पड़ गया है सीप का मोती गँवारों के यहाँ जैसे बरसाती नदी अल्हड़ नशे में चूर है हाथ न पुट्ठे पे रखने देती है मगरूर है... पड़ गई इसकी #भनक थी #ठाकुरों के कान में वे #इकट्ठे हो गए थे #सरचंप के दालान में दृष्टि जिसकी है #जमी #भाले की लम्बी #नोक पर देखिए सुखराज #सिंग बोले हैं खैनी ठोंक कर क्या कहें सरपंच भाई क्या #ज़माना आ गया कल #तलक जो पाँव के नीचे था #रुतबा पा गया
विद्या भूषण मिश्र
'सम्बन्धों के ठंडे घर में' ---------------------------- सम्बन्धों के ठंडे घर में वैसे तो सबकुछ है लेकिन इतने नीचे तापमान पर रक्तचाप बेहद खलता है।। दिनचर्या कोरी दिनचर्या घटनायें कोरी घटनायें पढ़ा हुआ अख़बार उठाकर हम कब तक बेबस दुहरायें नाम मात्र को सुबह हुई है कहने भर को दिन ढलता है।। सहित ताप अनुकूलित घर में मौसम के प्रतिमान ढूंढते आधी उम्र गुज़र जाती है प्याले में तूफ़ान ढूंढते गर्म ख़ून वाला तेवर भी अब तो सिर्फ़ हाथ मलता है।। सजे हुए दस्तरख़्वानों पर मरी भूख के ताने-बाने ठहरे हुए समय सी टेबुल टिकी हुई बासी मुस्कानें शिष्टाचार डरे नौकर सा अक्सर दबे पांव चलता है।। -अमरनाथ श्रीवास्तव-
Shivraj Solanki
कविता कवि की कोरी कल्पना नहीं कविता जीवन का अनुभव होती है कविता ऐसे ही नहीं बनता शब्दो का समूह हर एक शब्द को जीया होता है विचारो के उन्मुक्त गगन में पंछी बन उड़ना होता है शब्दो को एक - एक कर कवितमाल में पिरोना होता है बस तुक मिलाने से नहीं बनती कविता विचारो को सही से सजाना होता है कवि के भूत, भविष्य और वर्तमान कविता से हो सकती है पहचान इनकी कलम ओर शब्दों ताकत राजा को रंक बना दे कायर को निडर बना दे कहे शिवराज सुनो दुनिया बदल सकती है कविता कवि की कोरी कल्पना नहीं कविता जीवन का अनुभव होती है कविता कवि की कोरी कल्पना नहीं है कविता
कवि की कोरी कल्पना नहीं है कविता
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