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Amit Singhal "Aseemit"
झीलों का शहर हमें शांति एवं ठहराव सिखाए, शांति एवं ठहराव में सुंदरता का भाव दिखाए। गति एवं चंचलता में जीवन का अस्तित्व सही है, शांति एवं ठहराव से जो आगे बढ़े, गुणी वही है। ©Amit Singhal "Aseemit" #झीलों #का #शहर
Monu
उदयपुर शहर को झीलों की नगरी (राजस्थान) Rahul Bhardwaj poonam atrey Amaira Mahesh Verma Kamalakanta Jena (KK) #झीलों #उदयपुर #lakes #rajasthan #RAJASTHANI #rajasthansarkar #saskrti
read moreShivam Tiwari
यूँ समझों कि कोई झीलों का शहर है...... हकीकत में ना कोई झील है ना कोई शहर है।। #शायरी क्या है ??? यूँ समझों कि कोई #झीलों का #शहर है...... #हकीकत में ना कोई झील है ना कोई शहर है।।
Prashant Singh Rajawat
वो आकाश में मेघ बनाया करती थी। मैं उनसे बरसात गिराया करता था।। वो चंचल सी तितली पकड़ा करती थी। मैं उन पर ग़ज़लें लिख जाया करता था।। वो चाँद सरीखी अम्बर पर छा जाती थी। मैं उस पर तारे बिखराया करता था।। वो लहरों सी इठलाती चलती आती थी। मैं साहिल से जब उसे बुलाया करता था।। वो दिन भर कोई चित्र उकेरा करती थी। मैं फिर उनमें रंग सजाया करता था।। वो झीलों से मोती चुनती रहती थी। मैं झीलों में मोती रख आया करता था।। वो गोद में रख कर सर सो जाया करती थी। मैं ज़ुल्फ़ों में हाथ फिराया करता था।। वो सोते-सोते कई दफा मुस्काती थी। मैं उसको इक ख़्वाब दिखाया करता था।। सुबह-सुबह वो सूर्य जगाया करती थी। रोज़ रात मैं चाँद सुलाया करता था।। वो अक्सर मेरा रस्ता देखा करती थी। मैं जब भी घर देर से जाया करता था।। हम 👦👩 #nojoto #nojotohindi #psr
हम 👦👩 nojoto #nojotohindi #psr
read moreAmit Gupta
*तस्वीर जम्मू कश्मीर की* हां मैं निसंदेह मानता हूं यहां की हसीं वादियों में बसी है मुहब्बत, मगर ये भी तो ज्ञात हो यहीं नित्य पनपते हैं लोगों में बेहिसाब नफरत । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? हां मैं निसंदेह मानता हूं, कश्मीर की धरती पर पसरा है जन्नत का मंजर, पर यह भी तो सर्वविदित हो कि यहीं चलती है नित्य खूनी खंजर । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? हां मैं निसंदेह मानता हूं, है यहां झीलों के सीने में लिपटे बहारें, पर क्या यह सच नहीं यहीं से उठती है ताबूत लिपटे तिरंगे से सैनिकों की हमारें । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? हां मैं निसंदेह मानता हूं यही झिलमिलाती है झीलों की कनक सी जेवर, मगर ये भी तो ज्ञात हो कि यहीं होते हैं अक्सर लोगो के हिंसक तेवर । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? हां मैं निसंदेह मानता हूं यहां कुदरत भी करती है इसकी इबादत, मगर ये भी तो दृष्टांत हो यहीं अकसर होती है सैनिकों कि शहादत । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? अमित गुप्ता पुलवामा अटैक
पुलवामा अटैक
read moreAmit Gupta
*तस्वीर जम्मू कश्मीर की* हां मैं निसंदेह मानता हूं यहां की हसीं वादियों में बसी है मुहब्बत, मगर ये भी तो ज्ञात हो यहीं नित्य पनपते हैं लोगों में बेहिसाब नफरत । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? हां मैं निसंदेह मानता हूं, कश्मीर की धरती पर पसरा है जन्नत का मंजर, पर यह भी तो सर्वविदित हो कि यहीं चलती है नित्य खूनी खंजर । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? हां मैं निसंदेह मानता हूं, है यहां झीलों के सीने में लिपटे बहारें, पर क्या यह सच नहीं यहीं से उठती है ताबूत लिपटे तिरंगे से सैनिकों की हमारें । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? हां मैं निसंदेह मानता हूं यही झिलमिलाती है झीलों की कनक सी जेवर, मगर ये भी तो ज्ञात हो कि यहीं होते हैं अक्सर लोगो के हिंसक तेवर । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? हां मैं निसंदेह मानता हूं यहां कुदरत भी करती है इसकी इबादत, मगर ये भी तो दृष्टांत हो यहीं अकसर होती है सैनिकों कि शहादत । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? अमित गुप्ता पुलवामा अटैक
पुलवामा अटैक
read moreDr. Ayush Bansal (Musafir)
वैसे बातों में वो कोई बातें नही थीं पर बातों के उन नग़मों से मुझे मोहब्बत हो गयी चलो खामोशी ही तो थी जो तुमसे रूबरू होती थी पर अब इस खामोशी से मुझे मोहब्बत हो गयी झीलों का पानी तो ठंडा ही था बस धूप का ही कुसूर था पर अब इन झीलों से मुझे मोहब्बत हो गयी अब घंटों का सफर उस एक मुस्कान में सिमटा था जैसे सागर शायद नदियों की तरफ बिखरा था पर अब उस मुस्कान से मुझे मोहब्बत हो गयी उन अबसारों के आइने में बस खुद की तलाश रहती थी पर उन अबसारों के राज से मुझे मोहब्बत हो गयी उनकी खाशियत ए आम ही थी पर उस शख्शियत से मुझे मोहब्बत हो गयी अबसार=आँखें मुझे मोहब्बत हो गयी
मुझे मोहब्बत हो गयी
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