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Best गूँज Shayari, Status, Quotes, Stories

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Parul Sharma

मेरा दिल है मेरी प्यारी लाडो, live you बेटा #बेटियां #मुस्कान #आँगन #गूँज #कल्पवृक्ष

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जिस आँगन में गूँजती है 
बेटियों की मुस्कान
बस वही है 
कल्पवृक्ष का स्थान

©Parul Sharma मेरा दिल है मेरी प्यारी लाडो, live you बेटा
#बेटियां  #मुस्कान  #आँगन  #गूँज  #कल्पवृक्ष

Shitanshu Rajat

Writing quotes फ़साना #गूँज Quoet😉 #yourquote #yqbaba #yqdidi #yqpoetry #yq #yqhindi #yqurdu #फ़साना.......

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अभी का नहीं है, ये फ़साना बड़ा पुराना है,
और गूँज ऐसे ताज़ा है जैसे, पल भर भी ना बीता हो.....
 Writing quotes फ़साना #गूँज #Quoet😉 
#yourquote #yqbaba #YQdidi #YQPoetry #YQ #yqhindi #yqurdu #फ़साना.......

Ekta Gour

तेरे बातों कि गुँज 
आज भी दिल को 
सुनाई देती हैं
तेरे होने का एहसास
हमेशा दिला ते रहती हैं
 #प्रतिध्वनि #गूँज

Shashi Aswal

                      गूँज पापा मैं उससे बहुत प्यार करती हूँ। पर उससे भी ज्यादा आपसे करती हूँ मैं प्यार। आखिर मैं आपकी बेटी हूँ। और आपका हक हैं मुझ पर किसी भी इंसान से ज्यादा। ये शब्द अचानक गूँजने लगे थे उसके कानों में। जो कहीं इन २५सालों में दब सी गई थी। युगम को ये शब्द जो उसकी बेटी रेनी ने कहे थे उसको कहीं जाने पहचाने से लग रहे थे। आखिरकार यादों की संदूक खुल ही गई। और सामने आया एक खूबसूरत और दुधिया चेहरा। जिसकी आवाज़ उसे सबसे प्यारी लगती थी। बिना चेहरा देखे उसे प्यार करने

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 गूँज

पापा मैं उससे बहुत प्यार करती हूँ। पर उससे भी ज्यादा आपसे करती हूँ मैं प्यार। आखिर मैं आपकी बेटी हूँ। और आपका हक हैं मुझ पर किसी भी इंसान से ज्यादा।ये शब्द अचानक गूँजने लगे थे उसके कानों में।
(Read in caption)                                        गूँज

पापा मैं उससे बहुत प्यार करती हूँ। पर उससे भी ज्यादा आपसे करती हूँ मैं प्यार। आखिर मैं आपकी बेटी हूँ। और आपका हक हैं मुझ पर किसी भी इंसान से ज्यादा।

 ये शब्द अचानक गूँजने लगे थे उसके कानों में। जो कहीं इन २५सालों में दब सी गई थी। युगम को ये शब्द जो उसकी बेटी रेनी ने कहे थे उसको कहीं जाने पहचाने से लग रहे थे। आखिरकार यादों की संदूक खुल ही गई। 
और सामने आया एक खूबसूरत और दुधिया चेहरा। जिसकी आवाज़ उसे सबसे प्यारी लगती थी। बिना चेहरा देखे उसे प्यार करने

Bramvans Balram Mishra

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देवभूमि कलम✍

पहाड़ी हूँ मै बंदा🔥
पहाड़ो की गूँज गा रहा हूँ 
बोली मेरी प्यारी, प्यारी मेरी भाषा
इन शब्दों ने ही मुझको देखो
आज दी है नई परिभाषा🔥

शांत पड़ी गूँज फिर से 
गुनगुना रहा हूँ
ये पहाड़ी खुशबू💓
जग में फिर उठा रहा हूँ🔥💓

Tarunpawri❤
✍✍ब्रमवन्स बलराम मिश्रा

SamadYusufzai

हम रोज़े क्यूँ रखते हैं? हम रोज़े क्यूँ रखते हैं ??? 7 साल के मासूम साहिल ने ये सवाल अपने अब्बा से पुछा। सामने बेठे डॉ.असलम साहब (जो की एक प्रसिद्ध डॉक्टर हैं) ने बड़े प्यार से जवाब दिया कि बेटा रोज़े इन्सान की नफ़्स पर काबू पाने का बहुत अच्छा जरिया हैं ये वो पोशीदा इबादत है जो मुआशरे (समाज) में अमीर ग़रीब के बीच की खायी को भरने का काम करती है।।।

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 हम रोज़े क्यूँ रखते हैं?

हम रोज़े क्यूँ रखते हैं ???

7 साल के मासूम साहिल ने ये सवाल अपने अब्बा से पुछा।
सामने बेठे डॉ.असलम साहब (जो की एक प्रसिद्ध डॉक्टर हैं)
ने बड़े प्यार से जवाब दिया कि बेटा रोज़े इन्सान की नफ़्स पर काबू पाने का बहुत अच्छा जरिया हैं
ये वो पोशीदा इबादत है जो मुआशरे (समाज) में अमीर ग़रीब के बीच की खायी को भरने का काम करती है।।।

Anil Siwach

।।श्री हरिः।। 18 - वर्षा में श्याम को जल से सहज प्रेम है और वर्षा हो रही हो, तब तो पूछना ही क्या? सभी बालक प्राय: वर्षा में भीगकर स्नान करने के व्यसनी होते हैं। कन्हाई को कोई रोकनेवाला न हो तो यह तो शरत्कालिन वर्षा में भी भीग-भीगकर स्नान करता, उछलता-कूदता फिरे। यह तो पावस की वर्षा है। इसमें तो पशु भी नीचे छिपने नहीं जाते। उन्हें भी भीगने में आनन्द आता है। प्रातःकाल बालक गोचारण के लिए चलते थे, तब आकाश में थोड़े ही मेघ थे; किन्तु पावस में घटा घिरते देर कितनी लगती है। आकाश प्रथम प्रहर बीतते ही मे

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।।श्री हरिः।।
18 - वर्षा में

श्याम को जल से सहज प्रेम है और वर्षा हो रही हो, तब तो पूछना ही क्या? सभी बालक प्राय: वर्षा में भीगकर स्नान करने के व्यसनी होते हैं। कन्हाई को कोई रोकनेवाला न हो तो यह तो शरत्कालिन वर्षा में भी भीग-भीगकर स्नान करता, उछलता-कूदता फिरे। यह तो पावस की वर्षा है। इसमें तो पशु भी नीचे छिपने नहीं जाते। उन्हें भी भीगने में आनन्द आता है।

प्रातःकाल बालक गोचारण के लिए चलते थे, तब आकाश में थोड़े ही मेघ थे; किन्तु पावस में घटा घिरते देर कितनी लगती है। आकाश प्रथम प्रहर बीतते ही मे

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 12 - नृत्यरत ता थेई, ता थेई ता .... त थेई थेई, कन्हाई नाच रहा है। हिल रहा है मयूरपिच्छ मस्तक के ऊपर, हिल रही है अलकें और कुण्डल कपोलों पर ताल दें रहें हैं। कण्ठ में पड़ी मुक्तामाल, घुटनों से नीचे तक लटकती वनमाला के साथ लहरा रही है। फहरा रहा है पीतपट। वक्ष पर कण्ठ के कौस्तुभ की किरणें श्रीवत्स को चमत्कृत करती छहरा-छहरा उठती है।

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|| श्री हरि: || 
12 - नृत्यरत

ता थेई, ता थेई ता .... त थेई थेई, कन्हाई नाच रहा है।

हिल रहा है मयूरपिच्छ मस्तक के ऊपर, हिल रही है अलकें और कुण्डल कपोलों पर ताल दें रहें हैं।

कण्ठ में पड़ी मुक्तामाल, घुटनों से नीचे तक लटकती वनमाला के साथ लहरा रही है। फहरा रहा है  पीतपट। वक्ष पर कण्ठ के कौस्तुभ की किरणें श्रीवत्स को चमत्कृत करती छहरा-छहरा उठती है।

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