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shayar dilkash ~
हर आदमी जब खुद को खुदा समझने लगता है तब कहीं जाके उसको अहम समझने लगता है और उस घर की नींव खोखली हो जाती हैं जिस घर का प्रत्येक सदस्य खुद को मुखिया समझने लगता है ©shayar dilkash ~ #Childhood #मुखिया #परिवार #अहम #Nojoto
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read moreVineet Kumar Pathak
#मुखिया पर संसय# राजनीति करने की ताकत मुझमें नहीं रही है मां। ऐसा कर लो कोई नेता, मुझसे बेहतर ढूंढो मां ।मैं तो कहता हूं तुम से बेहतर कोई ना होगा। तुमने ही 10 वर्ष तलक पीएम को चुप रखा था मां|(vineet Pathak) #कांग्रेस का मुखिया कौन# #Forest
Girish Aryah
मुखिया..! कोई धुंध लेकर आंखों में बैठा हो जैसे, मुखिया लौट रहा है अपने घर को वैसे, कभी बैठता है, कभी चलता है, रात-रात भर वह न करवट बदलता है। अपने परिवार की धुंधली तस्वीर लिए, वह कई बार गिरता, कई बार संभलता है, एक आस है, एक रोज़ पहुँचूँगा घर, इसलिए वह अपनी चोट पर थूक मलता है, पैरों में कभी ज़िम्मेदारियों की बेड़ियां थी, अब वही आग लिये वह रास्तों पर जलता है, कभी गालियां छोड़ता है, कभी गाँव बदलता है, उसके पैर का रक्त बाहर आकर सूख गया, उसकी आँख लगी और ये जहाँ छूट गया, एक और मजदूर आज गिरीबी में टूट गया, कोई अनदेखी थी या थी यह सज़ा गिरीबी की, शायद गरीबों को सज़ा मिल रही है अमीरी की। - गिरीश राम आर्य: #commonman #मुखिया #GirishAryah #Nojoto
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read moreAshok Kumar
सुप्रभात.... सादर अभिवादन मित्रों ! मुखिया मुखु सो चाहिऐ खान पान कहुँ एक | पालइ पोषइ सकल अंग तुलसी सहित बिबेक || बाबा तुलसी कहते हैं कि मुखिया मुख के समान होना चाहिए, जो खाने-पीने को तो अकेला है लेकिन विवेकपूर्वक सब अंगों का पालन-पोषण करता है.
Anil Srivastava
#DearZindagi #चरित्रहीन स्त्री तबतक 'चरित्रहीन' नहीं हो सकती जबतक कि पुरुष चरित्रहीन न हो। संन्यास लेने के बाद गौतमबुद्ध ने अनेक क्षेत्रों की यात्रा की। एक बार वे एक गांव गए। वहां एक स्त्री उनके पास आई और बोली आप तो कोई राजकुमार लगते हैं। क्या मैं जान सकती हूँ कि इस युवावस्था में गेरुआ वस्त्र पहनने का क्या कारण है ? बुद्ध ने विनम्रतापूर्वक उत्तर दिया कि तीन प्रश्नों के हल ढूंढने के लिए उन्होंने संन्यास लिया। बुद्ध ने कहा- हमारा यह शरीर जो युवा व आकर्षक है वह जल्दी ही वृद्ध होगा फिर बीमार व अंत में मृत्यु के मुंह में चला जाएगा। मुझे वृद्धावस्था, बीमारी व मृत्यु के कारण का ज्ञान प्राप्त करना है। बुद्ध के विचारो से प्रभावित होकर उस स्त्री ने उन्हें भोजन के लिए आमंत्रित किया। शीघ्र ही यह बात पूरे गांव में फैल गई। गांववासी बुद्ध के पास आए और आग्रह किया कि वे इस स्त्री के घर भोजन करने न जाएं क्योंकि वह चरित्रहीन है। बुद्ध ने गांव के मुखिया से पूछा- क्या आप भी मानते हैं कि वह स्त्री चरित्रहीन है ? मुखिया ने कहा कि मैं शपथ लेकर कहता हूं कि वह बुरे चरित्र वाली स्त्री है।आप उसके घर न जाएं। बुद्ध ने मुखिया का दायां हाथ पकड़ा और उसे ताली बजाने को कहा। मुखिया ने कहा- मैं एक हाथ से ताली नहीं बजा सकता क्योंकि मेरा दूसरा हाथ आपके द्वारा पकड़ लिया गया है। बुद्ध बोले इसी प्रकार यह स्वयं चरित्रहीन कैसे हो सकती है जबतक कि इस गांव के पुरुष चरित्रहीन न हो। अगर गांव के सभी पुरुष अच्छे होते तो यह औरत ऐसी न होती इसलिए इसके चरित्र के लिए यहाँ के पुरुष जिम्मेदार हैं l यह सुनकर सभी लज्जित हो गये लेकिन आजकल हमारे समाज के पुरूष लज्जित नहीं गौरवान्वित महसूस करते है क्योंकि यही हमारे "पुरूष प्रधान" समाज की रीति एवं नीति है l
Sagar Singh
"इधर अंगूठा लगा दो" "ये लो 50 रुपया चलो आगे बढ़ो" "मगर साहिब आधा तो 73 रिपिया होता है हिसाब से" "हमें हिसाब सिखाएगा तू , इन्जीनियर और मुखिये का हिसाब कौन तेरा बाप करेगा चलो आगे" "लखन कुमार ,पुत्र किशन कुमार चलो इधर अंगूठा लगा दो" "नहीं साहेब हम काम खातिर आये रहे काम कर के पुरा पैसा चाही हमका" "हा हा इ देखो बेवकूफ अरे इधर फ़्री में 50 रुपया मिल रहा लै लो उधर मुखिया के खेत में जाय के काम कर लो " "नहीं साहेब हम इ हराम का पैसा नहीं लेंगे हम काम कर के पुरा पैसा लेंगे काम नहीं है तो इन्तजार कर लेंगे सरकारी वादा है सौ दिन काम देना ही होगा हम लूट में हिस्सा नहीं लेंगे " " लखनवा ठीक कहता है लूट में हिस्सा नहीं लेंगे " "आप रहने देओ नगरसेवक साहब आप के बस का नहीं है हम अभी ठीक करते हैं इस नालायक को " "जी मुखिया जी" "काहे रे लखनवा लगाते हो अंगूठा की करें दारोगा को फोन और कहे उनसे की तैने मेरे खेत से फसल चुराया है ।" ""मगर मुखिया हम कब चुराये तुम्हारा फसल " "साबित कैसे करेगा की नहीं चुराया है ।" "जाने दो मुखिया लखनवा बच्चा है हम सव तैयार हैं अंगूठा लगाय खातिर ।" #अंगूठा
Anjali Ahir
*मुखिया* हर घर में मुखिया होता है जिसकी चाहत सिर्फ एक होती है अपने परिवार की खुशियां अपने परिवार की खुशियों में वह दिन रात घिस जाता है बस एक मुस्कान देख वह सुबह फिर काम में निकल जाता है अपने काम को अपनी जिंदगी बना जाता है परिवार की जरूरतों को अपनी ख्वाहिश त्योहारों में सब को नए कपड़े खरीद कर देने वाला खुद पुराने कपड़ों में रह जाता है मुझे नहीं शौक इन चीजों का कह वह अपनी ख्वाहिश दबाता है....... दोस्तो.......वह घर का मुखिया है, जो सबके खुशियों में ही खुशी खोज खुश रह जाता है। #nojotohindi#nojoto#मुखिया#परिवार#shayari#quotes#Kavita#poem
Nirmit Singh Paliwal
उस समय दुनिया के लिए भोर था दुनिया के लिए चाँद फिर से चकोर था वो दो बजे उठा या चलो कुछ पहले या बाद में उठा उठ या कुछ और ही था उस छोटी सी मडई में जहाँ उसका पूरा संसार था कोने में दरी बिछाकर बच्चे के साथ उसकी अर्धांगनी या यूँ कहें कि इस दुःख में उसकी सहभागी टूटी सी खटिया पर वो खुद पड़ा था उस समय दुनिया के लिए उस समय भोर था कई कष्टों ने उसे घेर रखा था साहूकार की उधारी बैंक का लोन तो बच्चे को नयी ड्रेस और स्कूल भेजने का वादा इन सब जिम्मेदारियों से मजबूर था या परिवार का मुखिया होने का कसूर था दुनिया के लिए उस समय भोर था दुनिया के लिए चाँद फिर से चकोर था काफी देर तक पड़ा रहा कभी उठता तो कभी लेटता काफी जद्दोजहद में मशगूल था या सबके खुश चेहरे देखना उसका सुरूर था या ये परिवार का मुखिया होने का कसूर था कहने को समाज का अन्नदाता पर ईश्वर की कहर के मजबूर था उस समय दुनिया के लिए भोर था मन बना ही लिया उसने आखिरकार बीवी को जगाया तब तक सुबह हो गयी हाथों में सबके लिए दूध का गिलास जिसमें जहर था मिलाया क्या करे बेचारा ईश्वर के कहर के मजबूर था दूध सबको पिलाया खुद भी पीया आत्मसम्मान का गुरूर जो था वो एक किसान था ईश्वर की कहर के आगे मजबूर था उस समय दुनिया के लिए भोर था दुनिया के लिए चाँद फिर से चकोर था ।। #NojotoQuote किसान #SBSCNojoto
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