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Praveen Prajapati
आर्मी कोर्ट रूम में आज एक केस अनोखा अड़ा था छाती तान अफसरों के आगे फौजी बलवान खड़ा था बिन हुक्म बलवान तूने ये कदम कैसे उठा लिया किससे पूछ उस रात तू दुश्मन की सीमा में जा लिया बलवान बोला सर जी! ये बताओ कि वो किस से पूछ के आये थे सोये फौजियों के सिर काटने का फरमान कोन से बाप से लाये थे बलवान का जवाब में सवाल दागना अफसरों को पसंद नही आया और बीच वाले अफसर ने लिखने के लिए जल्दी से पेन उठाया एक बोला बलवान हमें ऊपर जवाब देना है और तेरे काटे हुए सिर का पूरा हिसाब देना है तेरी इस करतूत ने हमारी नाक कटवा दी अंतरास्ट्रीय बिरादरी में तूने थू थू करवा दी बलवान खून का कड़वा घूंट पी के रह गया आँख में आया आंसू भीतर को ही बह गया बोला साहब जी! अगर कोई आपकी माँ की इज्जत लूटता हो आपकी बहन बेटी या पत्नी को सरेआम मारता कूटता हो तो आप पहले अपने बाप का हुकमनामा लाओगे ? या फिर अपने घर की लुटती इज्जत खुद बचाओगे? अफसर नीचे झाँकने लगा एक ही जगह पर ताकने लगा बलवान बोला साहब जी गाँव का ग्वार हूँ बस इतना जानता हूँ कौन कहाँ है देश का दुश्मन सरहद पे खड़ा खड़ा पहचानता हूँ सीधा सा आदमी हूँ साहब ! मै कोई आंधी नहीं हूँ थप्पड़ खा गाल आगे कर दूँ मै वो गांधी नहीं हूँ अगर सरहद पे खड़े होकर गोली न चलाने की मुनादी है तो फिर साहब जी ! माफ़ करना ये काहे की आजादी है सुनों साहब जी ! सरहद पे जब जब भी छिड़ी लडाई है भारत माँ दुश्मन से नही आप जैसों से हारती आई है वोटों की राजनीति साहब जी लोकतंत्र का मैल है और भारतीय सेना इस राजनीति की रखैल है ये क्या हुकम देंगे हमें जो खुद ही भिखारी हैं किन्नर है सारे के सारे न कोई नर है न नारी है ज्यादा कुछ कहूँ तो साहब जी दोनों हाथ जोड़ के माफ़ी है दुश्मन का पेशाब निकालने को तो हमारी आँख ही काफी है और साहब जी एक बात बताओ वर्तमान से थोडा सा पीछे जाओ कारगिल में जब मैंने अपना पंजाब वाला यार जसवंत खोया था आप गवाह हो साहब जी उस वक्त मै बिल्कुल भी नहीं रोया था खुद उसके शरीर को उसके गाँव जाकर मै उतार कर आया था उसके दोनों बच्चों के सिर साहब जी मै पुचकार कर आया था पर उस दिन रोया मै जब उसकी घरवाली होंसला छोड़ती दिखी और लघु सचिवालय में वो चपरासी के हाथ पांव जोड़ती दिखी आग लग गयी साहब जी दिल किया कि सबके छक्के छुड़ा दूँ चपरासी और उस चरित्रहीन अफसर को मै गोली से उड़ा दूँ
Anil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 1 - मा फलेषु कदाचन 'आप यहाँ!' नगर का प्रतिष्ठित डाक्टर - वह डाक्टर जिसे स्नान-भोजन को ठिकाने से समय नहीं मिलता, इस प्रकार अपनी जमी-जमाई चिकीत्सा की दुकान छोड़ कर सुदूर देहात में एक नन्हा-सा तंबू डालकर आ टिकेगा, इसकी कोई कैसे सम्भावना कर सकता है। 'मैं चिकित्सक हूँ - अत: इस समय मुझे यहाँ होना ही चाहिये था।' डाक्टर अवधेशजी चटपट उठ खड़े हुए। उन्होंने दोनों हाथ जोड़कर आगन्तुक को नमस्कार किया।
read moreआशुतोष आर्य "हिन्दुस्तानी"
आर्मी कोर्ट रूम में आज एक केस अनोखा अड़ा था! छाती तान अफसरों के आगे फौजी बलवान खड़ा था!! बिन हुक्म बलवान तूने ये कदम कैसे उठा लिया? किससे पूछ उस रात तू दुश्मन की सीमा में जा लिया?? बलवान बोला सर जी! ये बताओ कि वो किस से पूछ के आये थे? सोये फौजियों के सिर काटने का फरमान कोन से बाप से लाये थे?? बलवान का जवाब में सवाल दागना अफसरों को पसंद नही आया! और बीच वाले अफसर ने लिखने के लिए जल्दी से पेन उठाया!!
read moreकुछ लम्हें ज़िन्दगी के
मेरी प्यारी दोस्तनी हा-हा 😁 ! मेरी प्यारी दोस्तनी ! कैसी हो ? कहाँ हो ? क्या कर रही हो ? 🙃जानता हूँ ये सवाल तुम्हें बिल्कुल पसंद नहीं है। मैं जब भी ये बोलता तुम अज़ीब सा मुँह 😏बना के अपनी मुस्कान को टेड़ी 👻कर के कहती रोज़ तो मिलते हो दिन भर मुझे देखते रहते हो फिर ये बकवास क्यों ?🙄 बचपन से हम दोस्त थे और तुम मेरी दोस्तनी ! मैं आज भी अपने छोटे स्कूल के चपरासी को दुआएं देता हूँ - 😇 उस दिन तुम क्लास से बहुत देर से निकलीं थी मेरी टेंशन के मारे जान निकल रही थी 😨 मैं चपरासी को चकमा देके स्कूल के अंदर वापिस भागता हुआ आया और क्लास के बहार पहुँचा ही था 🤗 कि तुम बाहर निकल आई हाय क्या लम्हां था।😍 आज तक याद है वो मुझे और पीछे से वो कम्बख़त चपरासी आ के बोला लो आ गई तेरी दोस्तनी। 😶 चव्वनी भर के बच्चे अभी से दोस्त दोस्तनी बन गए👺। उसने एक बार कहा था पर उस दिन से तू बन गई मेरी दोस्तनी।😇 मैं यहाँ स्वर्ग मैं हूँ 😳can u believe that हा हा हा । हँस मत यार प्ल्ज़। वैसे मुझे खुद हँसी आती है इस बात पे तो। पता मेरी दोस्तनी जब मैं ऊपर आया तो मैंने सोचा अपना नरक तो पक्का 🤓। चित्रगुप्त टाइप के कोई sir ji बैठे थे मेरा नम्बर आया तो बोले स्वर्ग । 😱 मैंने पूछा कोई गलती कर दी होगी आपने वो बोले नहीं स्वर्ग पक्का। मैंने संदेह वाली नज़रों से उनको देखा 🤨और बोला यहाँ का सॉफ्टवेयर खराब है क्या ? मैं स्वर्ग में कैसे ? कोई गलती हो गई होगी । तब वो बोले तुम रोज़ मंदिर जाते थे पर मैं तो उससे मिल सकूँ इस चक्कर में अपनी दोस्तनी के पीछे -पीछे जाता था ।🤫 कभी भगवान से कुछ नहीं मांगा । वो बोले तुम हमेशा सच बोलते थे मैं कहाँ बोलता था वो तो दोस्तनी पकड़ जाती थी या फिर मेरा हाथ अपने सर पर रख के सच बुलवा लेती थी। 🙆♀ Sir ji बोले तुम्हारी दोस्तनी ने हमेशा तुम्हारे लिए ही प्रार्थना करती थी कि मेरे सारे पुण्य इसे दे देना ......... और इसके सारे पाप मेरे ।😶............ क्या तुझे पहले से पता था कि मैं मरने वाला हूँ ,तुझसे पहले।😢 हाय्य्य् । फिर क्या उस वक़्त मन तो कर रहा था कि तेरी पीठ पे जोर से एक मुक्का मार दूँ जैसे हमेशा मारता था। हा -हा हा😜😜😜 To be continued....... ©️✍️ सतिन्दर 06.02.18 story
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