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Arun Verma
White उसे मेरी कब्र पर दिया मत जलेने देना यारो वो नादान है ,। अपना हाथ जला लेगी 😥।। ©Arun Verma #summer_vacation #अरुण सायर
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read moreArun Shukla ( मृदुल)
विश्व कविता दिवस #नमन मंच विधा-कविता विषय-कविता किसी की बात तीरों सी जब आ हृदि में खटकती है, चित्त के उस हिमालय से तभी रसबूंद झड़ती है। बीती याद संग में स्वयं के मन भाव को लेकर, दर्दे दिल मिटाने को तभी कविता निकलती है॥ किसी की बात..... जैसे भाव पाते हैं वही मन भाव आते हैं, जिसको देखते हैं उसी के गुण गान गाते हैं। कभी रति,हास अथवा क्रोध कभी भय भी जुगुप्सा भी, कभी निर्वेद विस्मय शान्त मन से शान्त गाते हैं। जभी कोई बात अथवा दृश्य मन में आ सिमटती है। सभी के दिल चुराने को तभी कविता निकलती है॥ किसी की बात..... देखा कभी तन्वङ्गी को मन में भाव ये आया, पतझड़ से हृदय में ही तभी ऋतुराज था छाया। करके उसे इंगित लगा नव गीत नित गाने, सुने ओ हस भी दे पर बात का न बुरा ओ माने। मगर इसमें भी जब भी शोक मिलती न रती मिलती है। हृदय की वेदना से ही तभी कविता निकलती है॥ किसी की बात..... कई को बचपने से अब जवानी तक मैने देखा, मगर जो बात बचपन की थी न अब मैने कहीं देखा। कहें भूलो तो हम जानकर भी भूल जाते थे, गुड्डे गुडियों की हम नित नयी बारात लाते थे। ओ बचपना और खेल मन में जब उमड़ती है। मन को कर दे जो चंचल वही कविता निकलती है॥ किसी की बात..... लेखक- #अरुण शुक्ल ©Arun Shukla #विश्व_कविता_दिवस #no #nojohindi #L♥️ve #Holi rajeev Bhardwaj Ritagya kumari Madhusudan Shrivastava sk manjur Anshu writer KUNDAN KUNJ
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read moreAps
उलझा रहता हूँ #आपके ख्यालों में इस कदर मानों कि #जिंदगी की आखिरी ख्वाहिश #तुम ही हो #अरुण #कश्यप .✍✍.....#R||.......
Arun Achantani
रहने दो ये इश्क़ तुम्हारे बस का नहीं "अरुण " कि नींद आती नहीं गोया दिल टूटता अलग से है,, अरुण
Nirbhay Mishra AAP
RIP Arun Jaitley हम सबको श्री अरुण जेटली जी का छोड़ कर जाना अत्यंत दुःखद है, उनकी संगठन और राष्ट्रनिर्माण में भूमिका अतुलनीय है। वे सदैव हमारे हृदयों में वास करेंगे, प्रभु हरि से प्रार्थना करता हूँ कि अरुण जी के परिजनों को शक्ति प्रदान करे और उनकी पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें।
अरुण शुक्ल ‘अर्जुन'
गुरु की महिमा है अकथ, अकथ गुरू आशीष। गुरू पद-पंकज दंडवत "अरुण" झुकाता शीश। अरुण झुकाता शीश, गुरू सेवा ही अमृत। मुक्ति-मार्ग मय ज्ञानांजन, गुरुवाणी से नि:सृत। भव-सागर से तारक गुरुवर, गुरुपद कल्पतरु। अज्ञान-तिमिर को दूर भगाते,पूजनीय पद गुरु! आप सभी इष्ट मित्रों को पवित्र गुरु-पर्व की अनंत शुभकामनाएं! अरुण शुक्ल अर्जुन प्रयागराज Ankrita Tiwari Rashima Sukh Jyoti Yadav VARSHA KUSHWAH khushi
Ankrita Tiwari Rashima Sukh Jyoti Yadav VARSHA KUSHWAH khushi
read moreAnil Siwach
।।श्री हरिः।। 44 - नित्य मिलन श्याम आज बहुत प्रसन्न है। यह आनन्दकन्द - इसके समीप पहुँचते ही दुसरों का विषाद-खिन्न मुख खिल उठता है। जहाँ जाता है, हर्ष-आह्लाद की वर्षा करता चलता है; किन्तु आज तो लगता है जैसे पूर्णिमा के दिन महासमुद्र में ज्वार उठ रहा हो। मैया ने शृंगार कर दिया है। सिर पर तैल-स्निग्ध घुंघराली काली सघन मृदुल अलकें थोड़ी समेट कर उनमें मोतियों की माला लपेट दी है और तीन मयूरपिच्छ लगा दिये हैं। भालपर गोरोचन की खोर के मध्य कुंकुम का तिलक है। कुटिल धनुषाकार सघन भौंहों के नीचे अंजन-रंजि
read moreAnil Siwach
।।श्री हरिः।। 42 - कुछ बात है आज कन्हाई वन में आकर बहुत थोड़ी देर खेलता रहा है। यह बालकों का साथ छोड़कर अकेले मालती-कुञ्ज में आ बैठा है। दाऊ तो प्राय: अकेले बैठ जाता है; किंन्तु कृष्ण इस प्रकार अकेले चुपचाप बैठे, यह इस चपल के स्वभाव के अनुकूल तो है नहीं। इसलिए अवश्य कुछ बात है। मालती ने चढ़कर तमाल को लगभग आच्छादित कर लिया है। नीचे से ऊपर तक इस प्रकार छा गयी है कि भूमि से तमाल के शिखर तक केवल हरित मन्दिर दीखता है। इसमें भीतर जाने का द्वार भी छोटा ही है। अवश्य इतने छिद्र मध्य में हैं कि वायु तथा
read moreAnil Siwach
।।श्री हरिः।। 38 - तुलसी-पूजन मैया तुलसी-पूजन कर रही है। गौर श्रीअंग, रंत्न-खचित नील कौशेेय वस्त्र कटि में कौशेय रज्जु से कसा है। चरणों में रत्ननूपुर हैं। कटि में रत्न जटित स्वर्णकाञ्ची है। करों में चूड़ियाँ हैं, कंकण हैं। रत्न जटित अंगूठियाँ हैं। भुजाओं में केयूर हैं। कंठ में सौभाग्य-सूत्र, मुक्तामाल, रत्नहार है और है नील कञ्चुकी रत्नखचित्त लाल कौशेय ओढनी। मोतियों से सज्जित माँग, मल्लिका-मालय-मंडित वेणी। आकर्ण-चुम्बित कज्जल-रञ्जित लोचन, कर्णों में रत्न-कुण्डल, भालपर सिन्दूर-बिन्दु, मैया ब्रजेश
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Someone told me a story that I would like to talk about. √गैरहाज़िर कन्धे√ अरुण साहब अपने आपको भाग्यशाली मानते थे। कारण यह था कि उनके दोनो पुत्र आई.आई.टी. करने के बाद लगभग एक करोड़ रुपये का वेतन अमेरिका में प्राप्त कर रहे थे। अरुण साहब जब सेवा निवृत्त हुए तो उनकी इच्छा हुई कि उनका एक पुत्र भारत लौट आए और उनके साथ ही रहे ; परन्तु अमेरिका जाने के बाद कोई पुत्र भारत आने को तैयार नहीं हुआ, उल्टे उन्होंने अरुण साहब को अमेरिका आकर बसने की सलाह दी। अरुण साहब अपनी पत्नी भावना क
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