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Garibanda 1M

Azad

#कपड़ों से तो #पर्दा होता है साहब #हिफाजत तो #निगाहों से होती है #yqbaba 💔 #yqdidi #collab_azad

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मासूम सी थी वो, खिलौनों से खेलती थी
अक्सर दिल की बाते वो, नजरो से बोलती थी
दोष न कपड़ो का था, न नजरो का था
क्योंकि लूटने वाला अपनों सा था।।।   😥 


#कपड़ों से तो #पर्दा होता है साहब 
 #हिफाजत तो #निगाहों से होती है

#yqbaba 💔 #yqdidi
#collab_azad

शिवानन्द

#सर्दियों  की #हवाएं भी हार गयी,
जूट की बनी #कपड़ों को देखकर।
जाकर #ख़ुदा से बोली 👉 क्या रंग है तेरी #दुनिया के,
उसके #लिबासों के आगे, मेरी #ठण्डीं भी  बेअसर है,,!!😌🙇 #सर्दी #गरीबी 
#खुदा #हवाएँ 
#yqdidi #yqbaba #yqquotes #hindi

Vijay Joshi

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ये दुनिया लुक्स की दीवानी है,
फटे कपड़ों में,
आप दुनिया के पीछे।
अच्छे कपड़ों में,
दुनिया आपके पीछे।
🤞

💖 #ShivaniHiya 💖

यौन शोषण उसने मुझे यहां छुआ, उसने मुझे वहां छुआ, जब घरवालों को मैंने बताया, उन्होंने कहा:- यह तो उनका प्यार है, लाड़ है, दुलार है, मेरा दिल जानता था,

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pallavi joshi

my poetry for girls

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तो उठ तू लड़ तू गरज तू खुद को संभाल तू खुद को बचा 
तू नहीं है द्रौपदी की आएगा कोई कृष्ण बचाने तेरी लाज यहां
 तू दुष्सानो से ना कभी घबराना छुएगे तेरे आंचल चाहेंगे जार जार करना 
करना मुकाबला डटकर आंचल मैंली मत होने देना
 जो छुए तेरी आंचल तो तोड़ हाथ श्मशान में फेंक ना तू ना तो कभी थरथराना ना तो कभी कपकपना  
तू उठ तू लड़...
हर पल रखेंगे तेरे कपड़ों पर नजर यहां
जो सरका तेरा दुपट्टा तो नापेगे तेरा सीना यहां 
भूल जाएंगे यही है उनकी बहन बेटियों के पास भी 
फिर तेरी तरफ हवस की नजर बढ़ाएंगे 
बन विंध्यवासिनी तू उनकी हवस को विनाश करना   ना कभी अपना दुपट्टा सवारना ना तू कभी खुद को गलत समझना 
तू उठ तू लड़..
जब कोई दुशासन तुम्हें रास्तों पर छोड़ जाएंगे यहां
 कोई नहीं तुझे बचाने को आएगा यहां
 सब तमाशा देख तेरे से दूर हट जाएंगे 
तू नहीं होगी उस वक्त उनकी बहन बेटी सब यही सोच गुजर जाएंगे 
जब तक न बीते अपने घरों में तब कहां आती है समझ में
 लेकिन दोहराया न जाए उनके बेटियों के साथ ऐसी तू मिशाल बनना 
हाथ में लौ ले उन पापियों का नाश करना 
ना तू झुकना कभी ना थकना कभी 
तू उठ तू लड़..
जो तुम्हारे साथ होगा ऊंच-नीच यहां 
सब तुम्हारे कपड़ों से लेकर तेरे चरित्र को आकेगे यहां तुम्हारे बात रास्तों पर चला तुम्हें तुम्हारी ही नजरों में गिराएंगे यहां
और तुम ऐसे ही लड़की थी जो हुआ अच्छा हुआ कह तुम्हें ही गलत बताएंगे यहां
 लेकिन अपने हौसले बुलंद रखना तू खुद को शांत रखना 
ना कोई सफाई देना ना कभी खुद को नजर से देखना
जो कोई मांगे तुमसे अग्नि परीक्षा उसके मुंह पर एक जोरदार तमाचा जड़ना तू 
ना कभी टूटना तू ना कभी खुद को समेटना तू 
तो उठ तू लड़ तू गरज तो खुद को संभाल तो खुद को बचा 
तू नहीं है द्रौपदी की आएगा कोई कृष्ण बचाने तेरी लाज यहां my poetry for girls

गुमनाम शायर

सच बताना यार वो बचपन याद करते हो के नहीं

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बचपन और नए कपड़े वो बचपन के कपड़ों की चिट बोलो Miss करते हो के नहीं
जब खुद के कपड़ों की चिट को संभालना और दूसरो की चिट खींच कर तोड़ देना
सच बताना यार मिस करते हो के नहीं सच बताना यार वो बचपन याद करते हो के नहीं

Gumnaam shayar

Bachpan aur nye kapde

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बचपन और नए कपड़े हाय बचपन और नए कपड़ों का तो क्या कहना
कपड़ों के आते ही पहन लेना और बड़े लोगों के पैर छूना
 फिर उछल कूद कर सबको दिखाना Bachpan aur nye kapde

Pravin Kumar

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Safar एक नौजवान अपने बूढ़े मां-बाप के साथ किसी महंगे होटल में खाना खाने गया- मां बाप तो नहीं जानते थे, लेकिन बेटे की ख्वाहिश थी कि वो उन्हे किसी महंगे होटल में ज़रूर खाना खिलाएगा, इसलिए उसने अपनी पहली तन्ख्वाह मिलने की खुशी में मां बाप जैसी अज़ीम हस्तियों के साथ शहर के महंगे होटल में लंच करने का प्रोग्राम बनाया-

                     बाप को रेशे (जिससे बदन कांपता रहता है) की बीमारी थी,उसका जिस्म हर लम्हा कंपकंपाहट में रहता था, और ज़ईफा मां को दोनों आंखों से कम दिखाई देता था- ये शख्स अपनी खस्ताहाली और बूढ़े मां-बाप के हमराह जब होटल में दाखिल हुआ तो वहां मौजूद अमीर लोगों ने सर से पैर तक उन तीनों को यूं अजीब व गरीब नज़रों से देखा जैसे वो गलती से वहां आ गए हों-

                      खाना खाने के लिए बेटा अपने मां बाप के दरमियान बैठ गया- वो एक निवाला अपनी ज़ईफा मां के मुंह में डालता और दूसरा निवाला बूढ़े बाप के मुंह में- खाने के दौरान कभी कभी रेशे की बीमारी के बाइस बाप का चेहरा हिल जाता तो रोटी और सालन के ज़र्रे बाप के चेहरे और कपड़ों पर गिर जाते- यही हालत मां के साथ भी थी,वो जैसे ही मां के चेहरे के पास निवाला ले जाता तो नज़र की कमी के बाइस वो अनजाने में इधर उधर देखती तो उसके भी मुंह और कपड़ों पर खाने के दाग पड़ जाते थे-

                         इर्द गिर्द बैठे लोग जो पहले ही उन्हे हक़ीर निगाहों से देख रहे थे,वो और भी मुंह चिढ़ाने लगे कि "खाना खाने की तमीज़ नहीं है और इतने महंगे होटल में आ जाते हैं-!" बेटा अपने मां बाप की बीमारी और मजबूरी पर आंखों में आंसू छुपाए, चेहरे पर मुस्कराहट सजाए- इर्द गिर्द के माहौल को नज़र अंदाज़ करते हुए,एक इबादत समझते हुए उन्हे खाना खिलाता रहा- खाने के बाद वो मां बाप को बड़ी इज़्ज़त व एहतराम से वॉश बेसिन के पास ले गया, वहां अपने हाथों से उनके चेहरे साफ किए,कपड़ों पर पड़े दाग धोए और जब वो उन्हें सहारा देते हुए बाहर की जानिब जाने लगा तो पीछे से होटल के मैनेजर ने आवाज़ दी और कहा:

"बेटा ! तुम हम सबके लिए एक क़ीमती चीज़ यहां छोड़े जा रहे हो-!"

उस नौजवान ने हैरानगी से पलट कर पूछा : " क्या चीज़-?"

मैनेजर अपनी ऐनक उतार कर आंसू पोंछते हुए बोला-!

*#नौजवान_बच्चों_के_लिए_सबक़*
*#और_बूढ़े_मां_बाप_के_लिए_उम्मीद_!*

JP Lines

Good Morning friends 🙏

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#कपड़ों 👕👔 से तो सिर्फ ☝ पर्दा #होता_हैं, 😌
#हिफ़ाज़त 😊 तो निगाहों से 👀 होती हैं #मेरे_दोस्तों ।। 😉😉 Good Morning  friends 🙏
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