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Rakesh frnds4ever
उन सभी उत्कृष्ट आत्माओं को मेरा सादर प्रणाम जिन्होंने मुझे प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से कुछ सिखाया है मैं सदैव उनका अभिवादन करता हूं एवम् सदैव उनके चरणों में नतमस्तक हूं ©Rakesh frnds4ever #Teachersday उन सभी #उत्कृष्ट #आत्माओं को मेरा सादर #प्रणाम जिन्होंने मुझे #प्रत्यक्ष #अप्रत्यक्ष रूप से कुछ सिखाया है मैं सदैव उनका #अभिवादन करता हूं एवम् सदैव उनके #चरणों में #नतमस्तक हूं,,....
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read morei am Voiceofdehati
गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु, गुरुर देवो महेश्वरः। गुरुर साक्षात परमब्रह्मा, तस्मै श्री गुरुवे नमः। शिक्षक दिवस पर सभी शिक्षकों को सादर नमन 🙏🙏🙏🙏 गुरुर #ब्रह्मा गुरुर विष्णु, #गुरुर देवो महेश्वरः, गुरुर साक्षात #परमब्रह्मा, तस्मै श्री गुरुवे नमः। #शिक्षक_दिवस पर सभी शिक्षकों को सादर #अभिवादन। #yqdidi #yqsnatni #yqinspiration Vijayant Singh🔰
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read moreAnjali Raj
हिन्द की स्वतंत्रता का हो यूँ चहुँ दिश अभिवादन ज्यों गरजे, उमड़े उदधि करे अवनि का पद प्रक्षालन #अंजलिउवाच #YQdidi #हिन्द #स्वतंत्रता #उदधि #अवनि #अभिवादन #पद-प्रक्षालन
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read moredeepak Jadhav
१४ जानेवारी १७६१ रोजी पानिपतचे शेवटचे युद्ध झाले, भलेही इथे लाख मराठा खर्ची पडले, लाख बांगड्यांचा चुराडा झाला, परंतु यानंतर परकीय आक्रमण झाले नाही, युद्धात हरून सुद्धा शत्रूवर जरब बसवणारा #मराठा च. पानिपत च्या त्या शूरवीराना विनम्र #अभिवादन. #मराठा_शौर्य_दिन #panipat
Rajendrakumar Jagannath Bhosale
मुहम्मद रफी इक फरीस्ता अजूबा हिंदुस्तानकी थी इंक बुलंद गरिमा नौ रस की बेमिसाल शास्त्रीय गान हर दिल की तापिश ऐसा था नूर सब फनकारोंका था गाने का मसीहा शास्त्रीय मौशिकी का था अवलिया..। महान गायक को मेरा प्रणाम,,, ©rajendrakumar bhosale #अभिवादन #welove
SUMIT KUMAR SRIVASTAVA
अभिवादन का महत्व । 🙏💐 #सुभाषित #अनुभव #विचार #calm #नोजोटो #writersofinstagram #India #Sumitjaiho #अभिवादन
read moreशून्य(ब्राह्मण)
अंधेरे में झिलमिलाए सितारे से लगते हो जैसे भी हो बहुत प्यारे से लगते हो ! बेसहारा को तुमने थामा है कुछ इस तरह मेरे लिए तुम एक सहारे से लगते हो! #बात_दिल_से #अभिवादन #आभापूर्वक#अभिव्यक्ति
#बात_दिल_से #अभिवादन #आभापूर्वक#अभिव्यक्ति
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 11 - महत्संग की साधना 'मेरी साधना विफल हुई।' गुर्जर राजकुमार ने एक लम्बी श्वास ली। वे अपने विश्राम-कक्ष में एक चन्दन की चौकी पर धवल डाले विराजमान थे। ग्रन्थ-पाठ समाप्त हो गया था और जप भी पूर्ण कर लिया था उन्होंने। ध्यान की चेष्टा व्यर्थ रही और वे पूजा के स्थान से उठ आये। राजकुमार ने स्वर्णाभरण तो बहुत दिन हुए छोड़ रखे हैं। शयनगृह से हस्ति-दन्त के पलंग एवं कोमल आस्तरण भी दूर हो चुके हैं। उनकी भ्रमरकृष्ण घुंघराली अलकें सुगन्धित तेल का सिञ्च
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 7 - निष्ठा की विजय 'मैं महाशिल्पी को बलात् अवरुद्ध करने का साहस नहीं कर सकता।' स्वरों में नम्रता थी और वह दीर्घकाय सुगठित शरीर भव्य पुरुष सैनिक वेश में भी सौजन्य की मूर्ति प्रतीत हो रहा था। वह समभ नहीं पा रहा था कि आज इस कलाकार को कैसे समभावें। 'मेरे अन्वेषक पोतों ने समाचार दिया है कि प्रवाल द्वीपों के समीप दस्यु-नौकाओं के समूह एकत्र हो रहे हैं। ये आरब्य म्लेच्छ दस्यु कितने नृशंस हैं, यह श्रीमान से अविदित नहीं है और महाशिल्पी सौराष्ट्र के
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 15 - कलियुग के अन्त में आपने यदि वैज्ञानिक कही जाने वाली कहानियों में से कोई पढी हैं तो देखा होगा कि किस प्रकार दो-चार शती आगे की परिस्थिति का उनमें अनुमान किया जाता है और वह अनुमान अधिकांश निराधार ही होता है। यह कहानी भी उसी प्रकार की एक काल्पनिक अनुमान मात्र प्रस्तुत करती है; किंतु यह सर्वथा निराधार नहीं है। पुराणों में कलियुग के अन्त समय का जो वर्णन है, वह सत्य है; क्योंकि पुराण सर्वज्ञ भगवान् व्यास की कृति है। उनमें भ्रम, प्रमाद सम्भव न
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