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अल्पेश सोलकर
आज हे असे दिवस येणारच होते का.. कसोटी सोबत जिद्द चाचपून पहायची होती का.. जगालाही साधा सरळ संयमी मुख्यमंत्री दिसावा.. खांद्यावरी तुझ्या अख्खा' महाराष्ट्र 'उध्दवा.. आज हे असे दिवस येणारच होते का.. कसोटी सोबत जिद्द चाचपून पहायची होती का.. जगालाही साधा सरळ संयमी मुख्यमंत्री दिसावा.. खांद्यावरी तुझ्या अख्खा' महाराष्ट्र 'उध्दवा.. © अल्पेश सोलकर #मुख्यमंत्री #महाराष्ट्र #नेतृत्व #संयमी #uddhavthackeray #alpeshsolkar
आज हे असे दिवस येणारच होते का.. कसोटी सोबत जिद्द चाचपून पहायची होती का.. जगालाही साधा सरळ संयमी मुख्यमंत्री दिसावा.. खांद्यावरी तुझ्या अख्खा' महाराष्ट्र 'उध्दवा.. © अल्पेश सोलकर #मुख्यमंत्री #महाराष्ट्र #नेतृत्व #संयमी #uddhavthackeray #alpeshsolkar
read moreनवीन बहुगुणा(शून्य)
पराजय और असफलता आज़ादी के हर एक वीर ने सर पर खाई लाठी थी💪🇮🇳 लहू बहा वीरो का फिर भी सीने में देश की माटी थी💪🇮🇳 ©ER.Naveen Bahuguna आज़ादी के हर एक वीर ने सर पर खाई लाठी थी💪🇮🇳 लहू बहा वीरो का फिर भी सीने में देश की माटी थी💪🇮🇳 #साइमन कमीशन के विरुद्ध एक #महान लड़ाई लड़ी और #असँख्य वीरो के साथ हर लड़ाई में एक #नेतृत्व धारी बने रहे पंजाब केसरी कहे जाने वाले माँ भारती के वीर सिंहो में एक महान #स्वतंत्रता #सेनानी शहीद आदरणीय श्री लाला लाजपत राय जी को उनके वीर जन्मोत्सव पर सादर नमन🇮🇳💪❤️❤️ #पंजाबकेसरी #लालालाजपतराय
आज़ादी के हर एक वीर ने सर पर खाई लाठी थी💪🇮🇳 लहू बहा वीरो का फिर भी सीने में देश की माटी थी💪🇮🇳 #साइमन कमीशन के विरुद्ध एक #महान लड़ाई लड़ी और #असँख्य वीरो के साथ हर लड़ाई में एक #नेतृत्व धारी बने रहे पंजाब केसरी कहे जाने वाले माँ भारती के वीर सिंहो में एक महान #स्वतंत्रता #सेनानी शहीद आदरणीय श्री लाला लाजपत राय जी को उनके वीर जन्मोत्सव पर सादर नमन🇮🇳💪❤️❤️ #पंजाबकेसरी #लालालाजपतराय
read moreAnjali Jain
नेतृत्व करने वाले नेतृत्व करते-करते कब नेता बन जाते हैं पता ही नही चलता? नेतृत्व जनता को प्रशिक्षित करता है और उनको, उनके जीवन में आगे बढ़ाता है, नेता केवल स्वयं प्रशिक्षित होता है और स्वयं के जीवन में ही आगे बढ़ता रहता है!! ©अंजलि जैन #नेतृत्व/नेता#२८.११.२० #farmersprotest
#नेतृत्व/नेता२८.११.२० #farmersprotest
read moreSaumitra Tiwari
#नेतृत्व क्षमता किताबों से नहीं सीखी जाती, वो तो हमारे भीतर ही होती है। हमारे साथ ही बड़ी होती है और फिर अवसरों को पा कर प्रदर्शित भी होती है और निखरती भी जाती है।.…... नेतृत्व...
नेतृत्व...
read more@theanalyst
वैचारिक मतभेद हो सकते हैँ उसे आप विचारों से हरा सकते हैँ लेकिन उस नाम पर हत्या कर देना कायरता का परिचय देना हैँ...आप व्यक्ति को मार सकते हैँ उसके विचारो को नहीँ...यदि व्यक्ति को मारने से विचार मर जाते तो आज गांधी को कोई नहीँ जानता होता... मैंने गाँधी को बहुत बार पढ़ा खुद गाँधी की किताब से भी औरों के लिखे भी इतिहास की शहादत से भी ..... मेरे हिसाब से मामला वही निकलता है जो मैं लिख देता हूँ , इस लिए इस बार विचारों की स्वछता भी कि जाएं तो बेहतर होगा, नेतृत्व की कसौटी पर कसें तो भारत के स्वाधीनता आंदोलन को गांधी से पहले और बाद के दो हिस्सों में बांटा जा सकता है. आजादी मिलने के कारणों के सबके अपने अपने तर्क हो सकते हैं पर गांधी भारत के इतिहास में अब तक के सर्वाधिक लोकप्रिय और सर्वमान्य नेता रहे हैं ये भी एक अकाट्य सत्य है.. मैं गाँधी जी से प्रभावित हूँ पर कहीं ज्यादा लाल बहादुर शास्त्री जी से । गाँधीजी आदर्शवादी थे वहीं लाल बहादुर शास्त्री जी व्यवहारवादी । बचपन में पठन पाठन गतिविधियों में दोनों महात्माओं को पढ़ा है। भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री रह चुके शास्त्री जी भारत मां के एक ऐसे महान पुत्र थे, जिन्होंने हमारे देश की पूरी लगन और समर्पण के साथ सेवा की,उनकी सादगी, सत्यनिष्ठा और साहसिक नेतृत्व आज भी पूरे देश केलिए एक प्रेरणा का स्रोत है शास्त्री जी और गाँधीजी को नमन एक आग्रह थोड़ा इन महापुरुषो को पढ़े भी #LalBahadurShastriJayanti #GandhiJayanti #Gandhi150 नमन दोनों महात्माओं को💐💐 #Gandhi_jayanti,#Lal_bahadur_shastri
नमन दोनों महात्माओं को💐💐 #gandhi_jayanti,#lal_bahadur_shastri
read moreMadanmohan Thakur (मैत्रेय)
होना क्या है,हम पुरी मुस्तैदी से केस लङेंगे! लेकिन सरकार ने तो जानेमाने अधिवक्ता मधुर सहाय को चुना है!राजीव विचलीत होकर बोला! तो इसमे चिंता की कोई बात नही है!सरकार का नैतीक दाईत्व है कि वो अपना पक्छ दावे के साथ रख्खे!फिर तो यह पहला कदम है!अभी तो हमे बहुत से रुकावटो को झेलना है!त्यागी साहव गंभीर होकर बोले! यस अंकल,आपका कहना विल्कुल ठीक है!अभी हीं हमने हार मान लिया,तो आगे का डगर काफी मुश्किल होगा!सम्यक ढृढता से बोला! हां मै यही बोल रहा हूं!आप लोग निश्चिंत होकर आम चुनाव की तैयारी करें!मै कोर्ट की प
read morePnkj Dixit
#OpenPoetry 🇮🇳पं• चंद्रशेखर आजाद🇮🇳 🇮🇳चन्द्रशेखर आजाद 🇮🇳 पण्डित चन्द्रशेखर 'आजाद' (२३ जुलाई १९०६ - २७ फ़रवरी १९३१) ऐतिहासिक दृष्टि से भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के स्वतंत्रता सेनानी थे। वे पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल व सरदार भगत सिंह सरीखे क्रान्तिकारियों के अनन्यतम साथियों में से थे। सन् १९२२ में गाँधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन को अचानक बन्द कर देने के कारण उनकी विचारधारा में बदलाव आया और वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसियेशन के सक्रिय सदस्य बन गये। इस संस्था के माध्यम से उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल क
🇮🇳चन्द्रशेखर आजाद 🇮🇳 पण्डित चन्द्रशेखर 'आजाद' (२३ जुलाई १९०६ - २७ फ़रवरी १९३१) ऐतिहासिक दृष्टि से भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के स्वतंत्रता सेनानी थे। वे पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल व सरदार भगत सिंह सरीखे क्रान्तिकारियों के अनन्यतम साथियों में से थे। सन् १९२२ में गाँधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन को अचानक बन्द कर देने के कारण उनकी विचारधारा में बदलाव आया और वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसियेशन के सक्रिय सदस्य बन गये। इस संस्था के माध्यम से उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल क
read moreAshok Kumar
प्रभावी नेतृत्व का सम्बन्ध लच्छेदार भाषण देने या लोगों द्वारा पसंद किये जाने से ही नहीं है ; नेतृत्व परिणाम से पारिभाषित होता है ,मात्र कुछ विशेष गुणों के आधार पर नहीं.
अमित ओझा
भारत महापुरषों का देश है जहाँ एक से बढ़कर एक महापुरुष पैदा हुए, जिनमे वीर कुंवर सिंह भी एक थे. बिहार की माटी के लाल बाबू वीर कुंवर सिंह को बिहार का बच्चा बच्चा भी जानता है,क्योंकि उनकी आन बान शान और सम्मान में हम सब बचपन से होली और अन्य लोकगीतों में देश के लिए उनके त्याग और बलिदान की कथा सुनते आ रहे हैं. जिन्होंने 80 वर्ष की उम्र में भी ब्रिटिश हुकूमत से लड़कर उनके दांत खट्टे कर दिए थे. जी हां आज में 1857 भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में बिहार का नेतृत्व करने वाले वीर सपूत वीर कुंवर सिंह जी की जीवनी के बारे में बताने जा रहा हूँ. जी हाँ जैसा की आप सभी अब जानने लगे है की आजादी के बाद कई दशकों तक एक शाजिश के तहत हमारे देश के विभिन्न राज्यों के स्वतंत्रता सेनानियों की वीर गाथा को दबाने और महज कुछ जो सत्ता के आस पास रहने वाले थे उनका नाम ऊपर लेन की साजिशें चली और उसका परिणाम ये हुआ की जो जीर शहीद वास्तव में स्मरणीय होना चाहिए उन्हें भुला दिया गया और उन्ही में से एक है हमारे वीर कुंवर सिंह जिनका शौर्य शहीदी दिवस23 अप्रैल को था. वीर कुंवर सिंह का जन्म सन 1777 में बिहार के भोजपुर जिले के जगदीशपुर गांव में हुआ था. इनके पिता का नाम बाबू साहबजादा सिंह और माता का नाम महारानी पंच रतन देवी था. इनके पूर्वज मालवा के प्रसिद्ध शासक महाराजा भोज के वंशज थे. बचपन से ही कुंवर सिंह अपने पूर्वजों की भांति कुशल यौद्धा थे. इनके पास बड़ी जागीर थी लेकिन एस्ट इंडिया कम्पनी ने जबरन कुंवर सिंह की जागीर को हड़प लिया था. जिससे कुंवर सिंह अंग्रेज और ईस्ट इंडिया कंपनी से खफा थे. वीर कुंवर सिंह की शादी राजा फ़तेह नारायण सिंह की बेटी से हुई जोकि मेवारी सिसोदिया राजपूत थे जो गया जिले के ज़मींदार थे. जागीरदार साहेबजादा सिंह के घर पैदा हुए कुंवर सिंह बचपन से ही वीरता एवं साहस का परिचय दे रहे थे. सन 1848-49 ई• डलहौजी की विलय नीति ने राजों- रजवाड़ो में भय पैदा कर दिया था, जिससे कुंवर सिंह अपनी वीरता दिखाने को आतुर हो उठे.रही- सही कसर नई इनफील्ड रायफलों ने पूरी कर दी, जिससे हिंदुओ एवं मुसलमानों दोनों की धामिॅक भावनाएं आहत हो रही थी. उस समय अंग्रेजों ने जो किसानों पर अत्याचार किया उससे किसान और आम जनता में अत्यंत ही रोष पैदा हो गया था जिसे वीर कुंवर सिंह ने नेतृत्व प्रदान किया,जिसकी तपिश ने सरकार की चूलें हिला दी. 1857 में अंग्रेजों को भारत से भगाने के लिए हिंदू और मुसलमानों ने मिलकर कदम बढ़ाया. मंगल पाण्डे की बहादुरी ने सारे देश में विप्लव मचा दिया. बिहार की दानापुर रेजिमेंट, बंगाल के बैरकपुर और रामगढ़ के सिपाहियों ने बगावत कर दी. मेरठ, कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, झांसी और दिल्ली में भी आग भड़क उठी. ऐसे हालात में बाबू कुंवर सिंह ने भारतीय सैनिकों का नेतृत्व किया. 27 अप्रैल 1857 को दानापुर के सिपाहियों, भोजपुरी जवानों और अन्य साथियों के साथ आरा नगर पर बाबू वीर कुंवर सिंह ने कब्जा कर लिया. अंग्रेजों की लाख कोशिशों के बाद भी भोजपुर लंबे समय तक स्वतंत्र रहा. जब अंग्रेजी फौज ने आरा पर हमला करने की कोशिश की तो बीबीगंज और बिहिया के जंगलों में घमासान लड़ाई हुई. बहादुर स्वतंत्रता सेनानी जगदीशपुर की ओर बढ़ गए. आरा पर फिर से कब्जा जमाने के बाद अंग्रेजों ने जगदीशपुर पर आक्रमण कर दिया.।