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Satya Prakash Upadhyay

#खुद पर #नाराज़गी #कब #होती है? #जब #माँ #पिता का #ध्यान #नहीं #रख #पाता जब #रूठे #दोस्तों को #मना नहीं पाता जब #भैया को #मज़ाक में कुछ #ज्यादा बोल जाता जब #दीदी के #कॉल का #जवाब नहीं दे पाता ।।तब होती है ख़ुद पर नाराज़गी।।

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खुद पर नाराज़गी कब होती है?

जब माँ पिता का ध्यान नहीं रख पाता
जब रूठे दोस्तों को मना नहीं पाता
जब भैया को मज़ाक में कुछ ज्यादा बोल जाता
जब दीदी के कॉल का जवाब नहीं दे पाता

।।तब होती है ख़ुद पर नाराज़गी।।

जब प्रभु का नाम नही ले पाता
जब संतों संग बैठ नहीं पता
जब लोगों को कुसंग में देखता
जब गरीब कमजोरों की मदद नहीं कर पाता।

।।तब होती है ख़ुद पर नाराज़गी।।

इन सब को मैं कर नहीं पाता ,ये तो बस एक बहाना है।
कारण तो इसका एक मात्र दृढ़ इक्षाशक्ति का कम हो जाना है।। #खुद पर #नाराज़गी #कब #होती है?

#जब #माँ #पिता का #ध्यान #नहीं #रख #पाता
जब #रूठे #दोस्तों को #मना नहीं पाता
जब #भैया को #मज़ाक में कुछ #ज्यादा बोल जाता
जब #दीदी के #कॉल का #जवाब नहीं दे पाता

।।तब होती है ख़ुद पर नाराज़गी।।

Varsha Varyani

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साकार राम दशरथ का बेटा। निराकार राम घट घट में लेटा।
बिंदू राम जिन जगत पसारा। निरालंब राम सबही ते न्यारा॥

यानी जिस राम को सारी दुनिया पूज रही है, कहीं संतों को भी उसी का
उपासक बता रही है, वो तो साकार राम की कोटि में है। फिर कहीं-कहीं संतों

को निराकार राम का उपासक बताया जा रहा है, पर वो दूसरी, निराकार राम की
कोटि में है। तीसरा राम वीर्य है, जिससे सृष्टि का पसार है। लेकिन संतों का राम

चौथा है, जो निरालंब है। वो जन्म-मरण में अवतार धारण करके नहीं आता। उसे ही
सब संतों ने 'साहिब' पुकारा है।

कुछ सगुण-निर्गुण भक्ति के जो शब्द संतों की वाणी में मिलते है, वो
इसलिए कि उन्होंने कबीर साहिब से नाम पाने से पहले निरंजन की भक्ति की
थी।

Varsha Varyani

#Love

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साकार राम दशरथ का बेटा। निराकार राम घट घट में लेटा।
बिंदू राम जिन जगत पसारा। निरालंब राम सबही ते न्यारा॥

यानी जिस राम को सारी दुनिया पूज रही है, कहीं संतों को भी उसी का
उपासक बता रही है, वो तो साकार राम की कोटि में है। फिर कहीं-कहीं संतों
को निराकार राम का उपासक बताया जा रहा है, पर वो दूसरी, निराकार राम की

कोटि में है। तीसरा राम वीर्य है, जिससे सृष्टि का पसार है। लेकिन संतों का राम

चौथा है, जो निरालंब है। वो जन्म-मरण में अवतार धारण करके नहीं आता। उसे ही

सब संतों ने 'साहिब' पुकारा है।
कुछ सगुण-निर्गुण भक्ति के जो शब्द संतों की वाणी में मिलते है, वो
इसलिए कि उन्होंने कबीर साहिब से नाम पाने से पहले निरंजन की भक्ति की
थी। #Love

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