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vikrant shelke, zankar

सुंदर जगाचा भेसूर चेहरा ………. का एखाद्या माणसाला कधी वाटतं दुसऱ्याचा जीव घ्यावा कधी एकांकि संख्येने किंवा कधी शतकांच्या संख्येने का व्हावीत मने त्यांची इतकी निष्ठुर की रक्ताच्या चिरकांड्या अन रक्ताच्या थारोळ्यात पडलेल्या मानवी मांसाच्या गोळ्याकडे बघून हृदय हेलावत नाही की वाटत नाही कधी काय होईल त्या बंधनांच त्या माणसांच्या ,त्यांच्यात गुंतलेल्या इतर माणसाच्या बंधनाचे ,जे मेलेत माझ्या हाताने की कधी वाटुच नये

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सुंदर जगाचा भेसूर चेहरा ............ सुंदर जगाचा भेसूर चेहरा ……….

का एखाद्या माणसाला कधी वाटतं दुसऱ्याचा जीव घ्यावा
 कधी एकांकि संख्येने किंवा कधी शतकांच्या संख्येने
का व्हावीत मने त्यांची इतकी निष्ठुर की रक्ताच्या चिरकांड्या अन रक्ताच्या थारोळ्यात पडलेल्या मानवी मांसाच्या गोळ्याकडे बघून हृदय हेलावत नाही
 की वाटत नाही कधी
काय होईल त्या बंधनांच त्या माणसांच्या ,त्यांच्यात गुंतलेल्या इतर माणसाच्या बंधनाचे ,जे मेलेत माझ्या हाताने 
की कधी वाटुच नये

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 11 – अभय गंगोत्तरी से गंगाजी नहीं निकली हैं, यह बात वे सब लोग जानते हैं जो वहाँ गये हैं अथवा जानेवालों से मिले हैं, उनके विवरण पढे हैं। गंगाजी गोमुख से प्रकट हुई हैं। वैसे वे निकली तो हैं नारायण के चरणों से - भौतिकरूप में भी उनका हिमस्त्रोत (ग्लेशियर) नारायण पर्वत के चरणों से चलकर शिवलिंगी शिखर के ऊपर होता गोमुख तक आया है। गंगोत्तरी में तो गंगाजी की मूर्ति है। गोमुख गंगोत्तरी से गत वर्ष 18 मील दूर था। कुछ वर्ष पूर्व यह दूरी 12 मील थी। हिम

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10

।।श्री हरिः।।
11 – अभय

गंगोत्तरी से गंगाजी नहीं निकली हैं, यह बात वे सब लोग जानते हैं जो वहाँ गये हैं अथवा जानेवालों से मिले हैं, उनके विवरण पढे हैं। गंगाजी गोमुख से प्रकट हुई हैं। वैसे वे निकली तो हैं नारायण के चरणों से - भौतिकरूप में भी उनका हिमस्त्रोत (ग्लेशियर) नारायण पर्वत के चरणों से चलकर शिवलिंगी शिखर के ऊपर होता गोमुख तक आया है। गंगोत्तरी में तो गंगाजी की मूर्ति है।

गोमुख गंगोत्तरी से गत वर्ष 18 मील दूर था। कुछ वर्ष पूर्व यह दूरी 12 मील थी। हिम

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