Find the Best सिद्धान्त Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos aboutआच्छादन का सिद्धान्त in english, सिद्धान्त का अर्थ, षड्यंत्र का सिद्धान्त, पावलाव का सिद्धान्त, निरन्तरता का सिद्धान्त,
Siddhant Maurya
दशहरे का ये दिन प्यार से मनाया जाता है, रावण है अगल-बगल; फिर एक रावण को क्यू अग्नि में फेका जाता है, पाप-पुण्य ये खेल नही फिर; एक दिन में सब रावण को कैसे मारा जाता है, सब टीके हैं अपनी बातों पर; सिखलाया ये दुनिया बस इस रावण को अग्नि में झोका जाता है। #सिद्धान्त Dussehra is only one day festival but what about remained 365 days...In 365 days generation of more than 365 Raavan's.
Dussehra is only one day festival but what about remained 365 days...In 365 days generation of more than 365 Raavan's.
read moreअद्वैतवेदान्तसमीक्षा
कर्म का सिद्धान्त आंख ने पेड़ पर फल देखा .. लालसा जगी.. आंख तो फल तोड़ नही सकती इसलिए पैर गए पेड़ के पास फल तोड़ने.. पैर तो फल तोड़ नही सकते इसलिए हाथों ने फल तोड़े और मुंह ने फल खाएं और वो फल पेट में गए. अब देखिए जिसने देखा वो गया नही, जो गया उसने तोड़ा नही, जिसने तोड़ा उसने खाया नही, जिसने खाया उसने रक्खा नहीं क्योंकि वो पेट में गया अब जब माली ने देखा तो डंडे पड़े पीठ पर जिसकी कोई गलती नहीं थी । लेकिन जब डंडे पड़े पीठ पर तो आंसू आये आंख में क्योंकि सबसे पहले फल देखा था आंख ने यही है कर्म का सिद्धान्त कर्म का सिद्धान्त
कर्म का सिद्धान्त
read moresiya
पापा ये एक शब्द है जिसने जिना सिखाय, ये वो सख्स है जिन्होंने कई सलीक़ा सिखाया। पापा... मेरे पापा जी मुझे गोद में बैठा कर मेरा सोना बच्चा हीरा बच्चा बोल कहानियां सुना कर छोटे छोटे निवाले खिलाते, गलतियों पर माँ के डाट से बचते। गर्मियों में रात भर थे पंखे भी झेलते, फिर सुबह स्कूल के लिए तैयार भी करते। मेरे नखरे तो कभी कम न हुए, जूते के फिते जो अब छोटा भाई भी बांध लेता था पर मेरे फिते तो आप ही बांधते थे। आप के प्यार में मैं तो कभी बड़ी ही न हुई, सारे मुसीबत का हल भी आपको ही समझती । घर के कामो में हमें maths और science पढ़ाते, इससे माँ के काम भी हल्के हो जाते। झाड़ू 45° के कोण पर झुक कर लगाओ, कलछन से infinity बनाओ। आपके ज्ञान के गंगा में हम तो सुबह का स्नान करते , Bodmas rule हमने तो kG में सीखा था सर्दी की छुट्टी में गर्म कंबल में बैठे हुए। तारो का टिमटिमाना, परावर्तन और अपवर्तन के सिद्धान्त तो हमारी बचपन की कहानी थी, गांधी की सादगी और उनका जीवन सिद्धान्त तो हमारी तब से ही जुबानी थी। वक्त का मोल समझू इसके लिए कितनी कहानियां कितनी डटे भी लगाई, कक्षा को इतनी एहमियत देना भी अपने ही सिखाया। आप अब तक डेढ़ साल में बस एक बार मिलने आये, क्योंकि अपने मुवकिल को अगली तारिक़ का चक्कर न लगवाए। मैं कभी आभार अभिव्यक्त न कर सकी, क्योंकि मेरे पास तो कोई शब्द ही नहीं। #जिंदगी
Anil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9 || श्री हरि: || 11 - जिज्ञासु 'प्रकृति भी भूल करती है।' अपने आप डाक्टर हडसन कह रहे थे। उन्होंने साबुन से हाथ धोये और आपरेशन-ड्रेस बदलने लगे। 'जड़ नहीं जड़ तो कभी भूल नहीं करता। उसमें भूल करने की योग्यता ही कहां होती है। मशीन तो निश्चित ही कार्य करेगी।' आज जिस शव का डाक्टर ने आपरेशन किया था, उसने एक नयी समस्या खड़ी कर दी। बात यह थी कि जिस किसी का भी वह शव हो इतना तो निश्चित ही था कि उसने अपनी लगभग साठ वर्ष की आयु पूर्ण की है और उसका शरीर सिद्ध करता है कि
read moreVikas Rawal
कविता- चलते रहो, चलते रहो.. चलते रहो। हमारे वेदों का मूल सन्देश इन दो शब्दों में समाहित है....ऐसा मुझे लगता है। ये दो शब्द है चरैवेति चरैवेति। अर्थात चलते रहो चलते रहो। यह जो कविता मैंने लिखी है, मेरी पहली कविता है। वर्ष 2013 में गहन निराशा के क्षणों में पहुंचने के बाद जब मैंने परिस्थितियों से हार मान ली थी तब किताबें पढ़ना और लिखना मेरे लिए उम्मीद की किरण बनकर आया। तो यह कविता जिसका शीर्षक है "चलते रहो चलते रहो" एक प्रेणादायक कविता है जबकि इसकी रचना निराशाजनक परिस्थितियों में हुई है। हरिवंश राय
कविता- चलते रहो, चलते रहो.. चलते रहो। हमारे वेदों का मूल सन्देश इन दो शब्दों में समाहित है....ऐसा मुझे लगता है। ये दो शब्द है चरैवेति चरैवेति। अर्थात चलते रहो चलते रहो। यह जो कविता मैंने लिखी है, मेरी पहली कविता है। वर्ष 2013 में गहन निराशा के क्षणों में पहुंचने के बाद जब मैंने परिस्थितियों से हार मान ली थी तब किताबें पढ़ना और लिखना मेरे लिए उम्मीद की किरण बनकर आया। तो यह कविता जिसका शीर्षक है "चलते रहो चलते रहो" एक प्रेणादायक कविता है जबकि इसकी रचना निराशाजनक परिस्थितियों में हुई है। हरिवंश राय
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || 11 - जिज्ञासु 'प्रकृति भी भूल करती है।' अपने आप डाक्टर हडसन कह रहे थे। उन्होंने साबुन से हाथ धोये और आपरेशन-ड्रेस बदलने लगे। 'जड़ नहीं जड़ तो कभी भूल नहीं करता। उसमें भूल करने की योग्यता ही कहां होती है। मशीन तो निश्चित ही कार्य करेगी।' आज जिस शव का डाक्टर ने आपरेशन किया था, उसने एक नयी समस्या खड़ी कर दी। बात यह थी कि जिस किसी का भी वह शव हो इतना तो निश्चित ही था कि उसने अपनी लगभग साठ वर्ष की आयु पूर्ण की है और उसका शरीर सिद्ध करता है कि वह एक स्वस्थ-सबल पुरुष रहा है। डाक्टर को
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